RJD सुप्रीमो लालू से रिश्तों में नरमी; नीतीश-तेजस्वी की तारीफ, घर वापसी की तैयारी में पप्पू यादव?

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पटना

लोकसभा चुनाव 2024 का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बिहार की सियासत में लगातार नए घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। कभी बिहार के बड़े बाहुबली रहे जाप प्रमुख पप्पू यादव पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बने हुए हैं। वजह है, उनकी आरजेडी और महागठबंधन के नेताओं से नजदीकियां। दरअसल, पूर्व सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। लंबे समय बाद दोनों नेताओं के रिश्तों में नरमी देखी गई। साथ ही पप्पू यादव आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की तारीफों के पुल भी बांध रहे हैं। ऐसे में अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या पप्पू यादव घर वापसी की तैयारी कर रहे हैं?

भागलपुर जिले में बीते रविवार को निर्माणाधीन अगुवानी-सुल्तानगंज पुल गिर गया। इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष नीतीश सरकार पर हमलावर हुआ। मगर पप्पू यादव ने सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का बचाव किया और बीजेपी पर इस हादसे का ठिकरा फोड़ा। पप्पू यादव ने पुल बनाने वाली कंपनी पर सवाल उठाते हुए् कहा कि इसे बीजेपी शासित राज्यों में बड़ा काम मिल रहा है। बीजेपी से पथ निर्माण मंत्री रहे सभी नेताओं की संपत्ति की जांच होनी चाहिए। इससे पहले भी वह समय-समय पर नीतीश और तेजस्वी की तारीफ करते नहीं चूके। यहां तक कि उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम का भी समर्थन किया है।

लालू यादव से रिश्तों में नरमी
पिछले महीने पप्पू यादव अचानक पटना स्थित राबड़ी आवास पहुंच गए और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। लंबे समय के बाद दोनों के रिश्तों में नरमी देखी गई। पप्पू यादव को 2015 में आरजेडी से बाहर हो गए थे। उन्होंने अपनी अलग पार्टी भी बनाई। पप्पू यादव कभी लालू के खासमखास नेताओं में से एक थे, लेकिन बाद में दोनों के रिश्तों में खटास आ गई थी। मगर अब फिर से लालू के साथ बढ़ती नजदीकियों से सियासी गलियारे में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

डॉन पप्पू यादव से राजनेता का सफर
90 के दशक में जब बिहार में जातिगत हिंसा बढ़ने लगी तब पप्पू यादव का नाम तेजी से उभरा। कोसी और सीमांचल के क्षेत्र में कई जातिगत हिंसाओं में पप्पू यादव का नाम आया। आईएएस जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा काटकर हाल ही में जेल से लौटे बाहुबली आनंद मोहन की गैंग से भी उनकी लंबी अदावत रही। हालांकि, बाद में पप्पू यादव ने अपनी छवि को सुधारने की पूरजोर कोशिश की। पप्पू यादव पूर्णिया से तीन और मधेपुरा से दो बार सांसद रहे। उन्होंने आरजेडी के अलावा वे निर्दलीय भी चुनाव लड़े और जीते।

मोदी लहर में मधेपुरा से चुनाव जीता
2014 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने मधेपुरा लोकसभा सीट से पप्पू यादव को उम्मीदवार बनाया था। पप्पू यादव ने मोदी लहर में भी इस सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव को बड़े अंतर से हराया। 2015 में वे आरजेडी से बाहर हो गए और जन अधिकार पार्टी के नाम से नई पार्टी बनाई। 2019 में उन्होंने जाप के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।

घर वापसी की तैयारी में पप्पू यादव?
लालू यादव से मुलाकात और नीतीश-तेजस्वी की तारीफ के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पप्पू यादव अब घर वापसी की तैयारी में हैं। उनकी पार्टी जाप पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई। आगामी चुनावों में भी एनडीए और महागठबंधन के बीच ही मुख्य मुकाबला होने की संभावना है। ऐसे में पप्पू यादव के अकेले रहकर चुनाव लड़ना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं। वे लगातार सोशल मीडिया एवं सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। कई बार वे लालू यादव की तारीफ भी कर चुके हैं। ऐसे में उनके आरजेडी में वापसी की संभावनाओं को भी नहीं नकारा जा सकता है।

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