पटना
बिहार में पड़ रही भीषण गर्मी का व्यापक असर भू-जल स्तर पर पड़ा है। पिछले तीन सप्ताह में सात और ग्राम पंचायतों में 50 फीट से अधिक नीचे पानी चला गया है। मई के दूसरे सप्ताह में ऐसे पंचायतों की संख्या 17 थी, जो बढ़कर 24 हो गई है। आठ जिलों की ये पंचायतें हैं।
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने इन 24 पंचायतों को संवेदनशील श्रेणी में रखा है और प्रतिदिन निगरानी कर रहा है कि पेयजल की कोई समस्या उत्पन्न न हो। हालांकि, विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि राज्य के किसी भी जिले से पेयजल संकट की समस्या की सूचना विभाग को नहीं मिली है। राज्य के 27 जिलों में वर्ष 2022 के मई की अपेक्षा इस साल उक्त अवधि में भू-जल स्तर अधिक नीचे गया है। नवादा, जमुई और अरवल में पानी अधिक नीचे गया है।
पिछले माह राज्य के आठ जिलों की 17 पंचायतें संवेदनशील थीं। जून में भी इन्हीं जिलों की अन्य सात ग्राम पंचायतों में 50 फीट से अधिक नीचे पानी गया। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह खतरनाक ट्रेंड है कि खास इलाके में इसका दायरा बढ़ रहा है। इसमें सुधार के लिए व्यापक काम करने की जरूरत है। एक मार्च से अभी तक राज्य के 71 हजार सार्वजनिक चापाकलों की मरम्मत की कई है। नौ हजार से अधिक चापाकलों के पाइप की गहराई बढ़ाई गई है।
इन पंचायतों में हालत नाजुक
सबसे अधिक कैमूर जिले में संवेदनशील ग्राम पंचायतों की संख्या सात से बढ़कर नौ हो गई है। इनमें चांद, अमावा, अघौरा, बरवां कलां, बभनी कलां, दिघार, सरकी, डुमरावां और अस्थान। मुंगेर जिले की पांच, जिनमें श्रीमतपुर, मई, बांक, पाटम और शंकरपुर, भागलपुर जिले की तीन पंचायतें पीरपैंती, सलेमपुर और रामजानीपुर, जहानाबाद की दो पंचायतें गोनावां और पश्चिम सरेन, रोहतास जिले की जयंतीपुर, नालंदा की सकरी और नवादा जिले की फरहा और बड़ैल ग्राम पंचायत शामिल हैं।