बिहार से छिनेगा रेलवे के बड़े संगठन का मुख्यालय, कई कारखानों का जन्मदाता WPO बंदी के कगार पर; हड़कंप

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पटना

बिहार से रेलवे के एक बड़े संगठन का मुख्यालय छिन जाएगा। भारतीय रेल के विभिन्न कारखानों के निर्माण एवं आधुनिकीकरण में अहम योगदान देने वाले कारखाना परियोजना संगठन (डब्ल्यूपीओ) को रेलवे ने बंद करने का फैसला लिया है। रेलवे बोर्ड ने 31 दिसंबर 2023 तक डब्ल्यूपीओ को पूरी तरह बंद करने का आदेश भी जारी कर दिया है। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, पटना के भवन में डब्ल्यूपीओ का मुख्यालय है।

इस आदेश को जारी करने के पीछे वित्त मंत्रालय की सलाहों का हवाला दिया जा रहा है। बिहार का करोड़ों का रेल पहिया कारखाना बेला (सारण), सवारी डब्बा कारखाना हरनौत सहित देश की कई कारखानाओं की स्थापना का श्रेय इसी संगठन को जाता है। रेलवे के इस निर्णय से स्थानीय रोजगार की संभावनाएं भी कमेंगी।

अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप

राष्ट्रीय फलक पर पहचान वाले इस संगठन का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। रेलवे बोर्ड के मैकेनिकल इंजीनियर (प्रोजेक्ट) वन निदेशक गौरव कुमार की ओर से देश के सभी रेलवे जोनों के महाप्रबंधकों और सभी जोनों के उत्पादन इकाइयों को पत्र जारी कर इस बाबत सूचित किया गया है। नये आदेश के मिलने के बाद से संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।

पक्ष में दलील

रेलवे की ओर से कहा जा रहा है कि हर जोन और डिविजन में गतिशक्ति यूनिट की स्थापना के बाद रेलवे की नजर में अब डब्ल्यूपीओ की विशेष उपयोगिता नहीं रह गई है। इसलिए बंदी का निर्णय लिया गया है।

विरोध में तर्क

डब्ल्यूपीओ से जुड़े लोगों का कहना है कि देश की कई उत्पादन इकाइयां तैयार करने वाले संगठन को बंद करना गलत है। इसमें ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ हैं जिनके पास परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन का खासा अनुभव है।

उपलब्धियों से भरा है दो दशक का इतिहास

डब्ल्यूपीओ को बिहार की राजधानी पटना में अक्टूबर 2002 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य विशेषकर नार्थ ईस्ट में रेल कारखाना को स्थापित करना और विशिष्ट उत्पादन इकाइयों को समृद्ध करना था। रेलवे के विभिन्न कारखानों के निर्माण व आधुनिकीकरण में इसका प्रमुख योगदान है।

डब्ल्यूपीओ भारतीय रेल का इकलौता ऐसा संगठन है जो सिंगल विंडो सोल्यूशन के रूप में यांत्रिक टर्न-की परियोजनाओं को संभालने के लिये मल्टी डिसिप्लिनरी कार्यबल रखता है। इसमें इंजीनियरिंग के विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञ हैं।

वंदे भारत ट्रेनों के मेंटेनेंस डिपो के विकास का काम इसे ही आवंटित किया गया है। शकूरबस्ती, नई दिल्ली में भारतीय रेल के प्रथम ट्रेनसेट मेंटनेंस डिपो को इसके द्वारा 15 माह के रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है।

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