पटना
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव यानी केसीआर फिर बड़ा जुटान करने जा रहे हैं। हैदराबाद में नए सचिवालय के उद्घाटन कार्यक्रम में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी आमंत्रित किया है। यह कार्यक्रम 17 फरवरी को होना प्रस्तावित है। हालांकि, सीएम नीतीश इसमें शामिल होंगे या नहीं, इसपर संशय बरकरार है। पिछले दिनों तेलंगाना के खम्मम में आयोजित केसीआर की रैली में नीतीश कुमार को केसीआर ने नहीं बुलाया था, जबकि अरविंद केजरीवाल, पिनरई विजयन, अखिलेश यादव सरीखे नेता उसमें शामिल हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैदराबाद में राज्य सरकार के नए सचिवालय का 17 फरवरी को उद्घाटन होना है। इसका लोकार्पण राज्य के सीएम केसीआर करेंगे। खबर है कि केसीआर इस कार्यक्रम में विपक्षी दलों के नेताओं को फिर से जुटाने वाले हैं। हाल ही में खम्मम में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एक रैली के दौरान भी कई दलों के नेताओं को बुलाया गया था, मगर उसमें नीतीश कुमार को न्योता नहीं मिलने से चर्चा का विषय बन गया था। अब केसीआर ने नीतीश कुमार के साथ-साथ आरजेडी नेता एवं बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी न्योता भेजा है।
उनके साथ ही अन्य विपक्षी दलों को भी आमंत्रण भेजा गया है। हालांकि, अभी तक जेडीयू या आरजेडी की ओर से इस कार्यक्रम में जाने को लेकर कोई बात नहीं कही गई है। न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार केसीआर के कार्यक्रम से किनारा कर सकते हैं। हालांकि, उनकी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह को हैदराबाद भेजा जा सकता है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव इस केसीआर के कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।
मोर्चेबंदी में नीतीश से आगे निकल रहे केसीआर?
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केसीआर के इस कार्यक्रम को अहम माना जा रहा है। 18 जनवरी को खम्मम में हुई रैली के दौरान केसीआर, केजरीवाल, अखिलेश, पिनरई विजयन, भगवंत मान सरीखे नेताओं को एक मंच पर लाने में सफल हुए थे। इसे तीसरे या चौथे मोर्चे के गठन की कवायद के रूप में देखा गया। ये सभी नेता 2024 में बीजेपी विरोधी ऐसा मोर्चा बनाना चाहते हैं, जिसमें कांग्रेस शामिल न हो। अब 17 फरवरी को हैदराबाद रैली में भी इस कवायद को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, विपक्षी दलों में पीएम कैंडिडेट और अन्य मुद्दों को लेकर अब भी तकरार की स्थिति है। बिहार सीएम नीतीश कुमार खुद विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। दरअसल, नीतीश कुमार, केजरीवाल, केसीआर, ममता बनर्जी सरीखे नेताओं को उनकी पार्टी के लोग विपक्षी पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। ऐसे में सभी नेताओं के हितों में टकराव हो रहा है। साथ ही बीजेपी विरोधी मोर्चे में कांग्रेस को साथ रखने के पक्षधर हैं, मगर सपा, AAP, बीआरएस जैसे दल इससे सहमत नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में अब डेढ़ साल का वक्त ही बचा है। विपक्षी दलों के नेता मोर्चेबंदी में कितने सफल हो पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा।