नई दिल्ली:यूरोप की ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘ईटीसी ’ के लिए चुनौती है भारतीय ‘कवच’ : रेलमंत्री

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वन क्षेत्रों में हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक ईजाद की गयी है

यह तकनीक ओएफसी लाइन में सेंसर के सहारे काम करेगी

200 दूर से हाथियों की पदचाप की तरंगों को पहचान करके इंजन में लो को पायलट को अलार्म देख कर सतर्क करेगी

नई दिल्ली:

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारतीय रेलवे की ट्रेनों की सुरक्षा की स्वदेशी उपकरण ‘कवच’ को अब संचार की एलटीई (4-जी और 5-जी ) आधारित किया जाएगा और 15 साल के भीतर पूरे रेल नेटवर्क को कवच युक्त कर दिया जाएगा । रेलवे ने जंगलों से निकलने वाली रेललाइनों पर हाथियों के कट कर मरने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक विकसित की है।

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रेल मंत्री श्री वैष्णव ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में यह जानकारी दी और दावा किया कि यूरोप के रेल तकनीक विशेषज्ञों के अनुसार आधुनिक संचार तकनीक वाला कवच विश्व भर में रेलवे सुरक्षा के लिए मानक समझी जाने वाली यूरोप की तकनीक ईटीसीएस से कहीं अधिक सक्षम एवं उसके ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के बाज़ार में चुनौती साबित होगी । श्री वैष्णव ने तृणमूल कांग्रेस की नेता , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस दावे का खंडन किया कि उनके रेल मंत्रित्व काल में स्वचालित रेल सुरक्षा प्रणाली एसीडी क्रियान्वित कर दी गयी थी। रेल मंत्री ने कहा कि सुश्री बनर्जी के कार्यकाल में कुछ इंजनों में एसीडी की तकनीक प्रायोगिक तौर पर लगायी गयी थी और उनके बाद रेल मंत्री बने उनकी पार्टी के श्री दिनेश त्रिवेदी के कार्यकाल में एसीडी के परीक्षण के बाद उसे विफल घोषित किया गया था।

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रेल मंत्री ने कहा कि वर्ष 2016 में लखनऊ के आरडीएसओ द्वारा विकसित ट्रेन सुरक्षा तकनीक ‘कवच’ को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की थी और वर्ष 2019 तक कड़े परी क्षणों के बा द इसे देश भर में लगाने का फैसला किया गया । वर्ष 2020 में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया और वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया गया । दक्षिण मध्य रेलवे में करीब 1500 किलोमीटर तक कवच वीएचएफ तकनीक पर पहले से ही का म कर रहा है। दि संबर 2022 में 3000 कि लो मी टर तक कवच की स्थापना के लिए टेंडर निकाला गया था, उसमें बहुत तेजी से प्रगति हो रही है और अब तक करीब 500 किलो मीटर का काम लगभग पूरा हो गया है जो मार्च तक पूरी तरह से क्रियान्वित हो जाएगा । इस खंड के लिए सेफ्टी इंटीग्रेशन लेवल 4 का प्रमाणन हासिल करने की प्रक्रिया जारी है।

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श्री वैष्णव ने कहा कि कवच दरअसल कई उपकरणों की एकीकृत प्रणाली है। स्टेशन कवच, लोको कवच, कवच टावर्स, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), वायरलेस लोको टावर, ट्रैक उपकरण और सिगनल, कवच प्रणाली के अंतर्गत आते हैं। इस प्रणाली में सुरक्षा प्रणाली एवं संचार प्रणाली की दो अलग अलग लेयर रखीं गयीं हैं। उन्होंने कहा कि इस समय तीन कंपनियां – मेधा , एचबीएल और का र्नेक्स उत्पादन कर रहीं हैं जबकि जीजी ट्रॉनिक्स को हाल में मंजूरी दी गयी है। दो अन्य कंपनियों -क्योंसनक्यों एवं सीमेंस के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि इस साल 1500 किलो मीटर के लिए उत्पादन क्षमता विकसित हो चुकी है। आने वाले साल 2024 तक 2500 किलाे मीटर और 2025 तक 5000 किलो मीटर तक की क्षमता विकसित हो जाएगी और इसके बाद 12 साल में पूरे नेटवर्क को कवच युक्त कर दिया जाएगा । रेल मंत्री ने कहा कि हाल में उनकी यूरोप की यात्रा के दौरान यूरोपीय विशेषज्ञों ने विचार विमर्श में माना है कि यदि कवच प्रणाली कामयाब हो गयी ताे यह प्रणाली यूरोप की ईटीसी तकनीक के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी । उन्होंने कहा कि इसकी लागत 80 से 90 लाख रुपए प्रति किलो मीटर तक आएगी ।

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उन्होंने कहा कि मौजूदा टेंडर में और दिसंबर में आने वाले 3000 किलोमी टर तक कवच लगाने के टेंडर में वीएचएफ संचार तकनीक का प्रयोग का प्रावधान है। लेकिन आने वाले समय में इस 6000 किलो मीटर के कवच नेटवर्क को एलटीई (लॉन्गटर्म इवोल्यूशन) यानी 4-जी एवं 5-जी तकनीक पर अपग्रेड करने का टेंडर आएगा । आने वाले समय में जैसे जैसे संचार तकनीक अपग्रेड होगी वैसे वैसे कवच को भी उसी तकनीक पर अपग्रेड किया जाएगा । रेल मंत्री ने यह भी बताया कि ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के साथ ही वन क्षेत्रों में हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक ईजाद की गयी है और इसे असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा , केरल, झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु एवं उत्तराखंड में 700 किलो मीटर से अधिक रेलमार्ग पर यह तकनीक लगायी जाएगी । उन्होंने कहा कि यह तकनीक ओएफसी लाइन में सेंसर के सहारे काम करेगी जो 200 दूर से हाथियों की पदचाप की तरंगों को पहचान करके इंजन में लोको पायलट को अलार्म देख कर सतर्क कर देगी । उन्होंने इस तकनीक का नाम गजराज रखने की बात कही ।

 

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