देहरादून: सिलक्‍यारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया

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‘मिशन सिलक्यारा’ सफल, सुरंग से सकुशल बाहर आए सभी 41 श्रमिक

सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिक 17वें दिन सकुशल बाहर आ गए

देहरादून:
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के चट्टानों को चीरती हुई मंगलवार को पूरे देश के लिए मंगलमयी खबर सामने आई। केंद्र और उत्तराखंड सरकार के नेतृत्व और रेस्क्यू टीमों के अथक परिश्रम से ‘ऑपरेशन सिलक्यारा ’ सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया । सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिक 17वें दिन सकुशल बाहर आ गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने फोन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ऑपरेशन की सफलता की जानकारी ली ।

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उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर को भूधंसाव होने से 41 श्रमिक सुरंग में ही फंस गए थे। घटना की सूचना मिलते ही बचाव अभियान शुरू कर दिया गया । देहरादून से पहुंचे एसडीआरएफ के जवान, स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन के साथ तत्काल रेस्क्यू में जुट गए। मुख्यमंत्री धामी व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी मौके का जायजा लेने पहुंचे।

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सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई, लेकिन ऊपर से मलबा गिरने पर सफलता नहीं मिल पाई तो देहरादून से ऑगर मशीन मंगा कर सुरंग में ड्रिलिंग शुरू की गई। ऑगर मशीन जवाब दे गई। फिर दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गई। इसके लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद ली गई। इन विमानों ने मशीन के पुर्जों को चिन्याली सौड़ हवाई पट्टी पर पहुंचाया और यहां से ग्रीन कॉरिडोर बना कर सिलक्यारा पहुंचाया गया । सुरंग में लगभग 50 मीटर ड्रिलिंग के बाद सरिया सामने आने के कारण इस मशीन में भी खराबी आ गई फिर हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया । कटर से ऑगर को काटने के बाद 16वें दिन मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई और 17वें दिन जिंदगी का पाइप श्रमिकों तक पहुंचा दिया गया ।

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यही नहीं सरकार तीन अन्य मोर्चों पर भी काम कर रही थी। इसमें वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी 50 मीटर तक पहुंच चुका था। राज्य और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों , अधिकारी और कर्मचारी 17वें दिन तक पूरी तन्मयता और मनोयोग से रेस्क्यू में जुटी रही । श्री धामी निरंतर स्थलीय निरीक्षण करने साथ ही रेस्क्यू टीमों की हौसला -अफजाई करते रहे। इसी का फल रहा है कि यह मिशन सफल हुआ। रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवी एनएल, एसजेवी एनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी , एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना , वायुसेना समेत तमाम संगठनों ,अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही । सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का रेस्क्यू, विज्ञान और भगवान दोनों की बदौलत सफल हो पाया । कहीं न कहीं इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी देखने को मिला , जिससे एक आस बंधी कि सब कुछ ठीक होगा ।

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दरअसल, टनल में फंसे श्रमिकों का तो ईश्वर पर अटल विश्वास था ही बचाव अभियान दल ने भी हर रोज देव आरा धना के बाद ही रेस्क्यू की शुरुआत की । श्री धामी और ‘इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स भी टनल के मुहाने पर बनाए गए बौखनाग मंदिर में सिर झुका कर श्रमिकों को सकुशल वापसी के लिए ईश्वर से आशीर्वाद मांगा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिलक्यारा में सभी 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाले जाने पर मुख्यमंत्री धामी को फोन कर अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने इस दौरान श्रमिकों के बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी ली । उन्होंने जाना कि सुरंग से निकालने के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य देखभाल, घर छोड़ने व परिजनों आदि के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि सभी श्रमिकों को सुरंग से निकलने के बाद सीधे चिन्या ली सौड़ स्थित अस्पताल ले जाया गया है जहां उनकी जरूरी स्वा स्थ्य जांच आदि की जा रही है । साथ ही अवगत कराया कि श्रमिकों के परिजनों को भी फिलहाल चिन्या ली सौड़ ले जा या गया जहां से उनकी सुविधा के अनुसार राज्य सरकार उनको घर  छोड़ने की पूरी व्यवस्था कराई जा रही है । 

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