पटना
उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में बलात्कार के दोषी बृजेश ठाकुर की मां और पत्नी को बड़ी राहत दी है। प्रक्रिया पूरी होने तक गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राहत बढाई कि याचिकाकर्ता महिलाएं हैं और मां की उम्र अधिक है।
इस मामले में ब्रजेश ठाकुर और उसके परिवार के सदस्यों पर जिनमें मां और पत्नी भी शामिल हैं, धनशोधन निवारण अधिनियम- 2002 के तहत आरोप लगाया गया। सीबीआई की जांच में कहा गया है कि उन्होंने एनजीओ में बच्चों के कल्याण के लिए सरकार और अन्य स्रोतों से प्राप्त धन का सही उपयोग नहीं किया, बल्कि उसका व्यक्तिगत उपयोग किया और संपत्तियों का अधिग्रहण किया।
ब्रजेश ठाकुर की मां मनोरमा देवी और उसकी पत्नी कुमारी आशा ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने कहा, याचिकाकर्ताओं को दी गई अंतरिम सुरक्षा प्रक्रिया पूरी होने तक बढ़ा दी गई है, बशर्ते कि याचिकाकर्ता आगे की प्रक्रिया में आवश्यकता पड़ने पर गंभीरता से शामिल हों। गौरतलब है कि एनजीओ फंड का अवैध रूप से दुरुपयोग करने के लिए ठाकुर और उसके परिवार के सदस्यों पर पटना में केस दर्ज किया गया था।
इस बड़े और चर्चित कांड में ब्रजेश ठाकुर सहित कई आरोपियों के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम- 2002 की धारा- 45 के तहत पटना स्थित विशेष न्यायालय के समक्ष मामला दायर किया गया था। 26 मई 2018 को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट में पहली बार मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ दरिंदगी का खुलासा हुआ था। टिस की रिपोर्ट सामने आने के बाद मुजफ्फरपुर जिला प्रसाशन की ओर से एफआईआर दर्ज कराया गया और ब्रजेश ठाकुर की तत्काल गिरफ्तारी कर ली गई। बाद में 26 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। उसके बाद 27 जुलाई 2018 को सीबीआई ने बालिका गृहकांड की एफआईआर पटना स्थित अपने थाने में दर्ज की थी और जांच में ब्रजेश ठाकुर और उसके परिजनों एवं कर्मियों को आरोपी बनाया।
सीबीआई ने इस मामले में 21 लोगों को आरोपी बनाया जिनमें 10 महिलाएं भी हैं। उनपर आरोप लगा कि बालिका गृह की में आने वाली लड़कियों के साथ हो रही दरिंदगी को छिपाती रहीं। महिलाओं ने बच्चियों को चुप रहने के लिए उनको यातनाएं भी दीं जिसका खुलासा जांच में हुआ। मुजफ्फरपुर बालिका गृह में तैनात रसोइयां से लेकर गेटकीपर तक पर लड़कियों के साथ दुष्कर्म करते थे। इस कांड में 34 लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़ण किया गया। इस मामले में नीतीश सरकार में मंत्री मंजु वर्मा को पद छोड़ना पड़ा.