बेगूसराय
बेगूसराय जिले में आलू की खेती में नुकसान लगने से परेशान किसानों का गुस्सा गुरुवार को फूट पड़ा। आलू की कीमतों में भारी गिरावट आ जाने से कई किसानों ने अपने आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखने की बजाय बछवाड़ा प्रखंड के झमटिया ढाला के समीप एनएच- 28 पर फेंक वाहनों से रौंदवा कर अपने गुस्से का इजहार किया। किसानों ने कहा कि इस साल आलू की खेती में उनकी लागत पूंजी पूरी तरह डूब चुकी है। खेतों से आलू खुदवाने में मजदूरी के पैसे भी निकलने पर आफत की स्थिति है। वर्तमान में उनके खेतों से चार रुपये के भाव से भी आलू बिकने पर संकट की स्थिति है। किसानों का नेतृत्व गंगा भासो नंदनी जन जागरण समिति के अध्यक्ष सह पूर्व जिला पार्षद रामोद कुंवर कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि झमटिया दियारा समेत आसपास के इलाके में इस साल बड़े पैमाने पर किसानों ने आलू की खेती की है। आलू रोपनी के समय किसानों को प्रति बीघा 50 से 60 हजार रुपए खर्च करने पड़े थे। वर्तमान में आलू की कीमत इतनी गिर गई है कि किसानों को प्रति बीघा 10 से 12 हजार रुपये के भी आलू निकलने पर आफत है। कोल्ड स्टोरेज में भी आलू रखने का चार्ज प्रति क्विंटल 50 रुपये बढ़ा दिया गया है। लिहाजा अधिकतर किसान अपने खेतों में ही आलू सड़ा देने पर विवश हो रहे हैं।
पूर्व जिला पार्षद ने कहा कि आलू की उचित कीमत नहीं मिलने के कारण जिन किसानों ने खेतों से आलू खुदवा कर अपने घर लाए हैं, वे अब इसे कूड़े की ढेर व सड़कों पर फेंकने को विवश हो रहे हैं। मौके पर बिहार राज्य किसान सभा के जिला सचिव दयानिधि चौधरी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार आलू उत्पादक किसानों की पीड़ा को देखते हुए उन्हें घाटे से उबारने की दिशा में अविलंब पहल करे। बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष रामविलास सिंह ने कहा कि जिले में आलू उत्पादक किसानों की हालत बदतर है। सरकार आलू की खेती में लागत से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करे।
आलू लूटने को मची होड़
झमटिया ढाला के समीप एनएच-28 पर किसानों द्वारा सैकड़ों क्विंटल आलू फेंके जाने के बाद सड़क से गुजर रहे ट्रक, बस व अन्य वाहन चालकों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। सड़क पर आलू फेंके देख वे अपनी वाहनों को रोक लेते थे। जब किसानों द्वारा वाहन चालकों को सड़क पर फेंके गए आलू को रौंदने की इजाजत दी जाती थी तो वे वाहनों के पहिए के नीचे आलू को पीसते हुए आगे बढ़ रहे थे। इस दौरान झमटिया ढाला के समीप एनएच- 28 पर वाहनों का परिचालन बाधित रहा। इधर, सड़क पर आलू फेंके जाने के साथ ही आसपास के गरीब लोगों की भीड़ आलू लूटने उमड़ पड़ी। बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर फेंके गए आलू गमछे में बांधकर व झोली में भरकर अपने घर ले गए।