पटना
देश के सातवें सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से पटना यूनिवर्सिटी के ढांचागत बदलाव के लिए बिहार सरकार पूरी तरह तैयार है। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया है कि इस महीने के अंत में 147.29 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक दो दस मंज़िला इमारतों की आधारशिला सीएम नीतीश कुमार रखेंगे।बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 2017 में पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्याल का दर्जा देने की मांग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठुकरा दिया था।
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चौधरी, जो खुद एक इंजीनियरिंग प्रोफेसर हैं और एनआईटी, पटना में कार्यरत थे व परियोजनाओं को पूरा करने में सक्रिय भूमिका निभाते थे, ने कहा है कि नई आधुनिक इमारतें बढ़ती आवश्यकताओं के कारण समय की मांग थीं। दो भवनों में से एक G+9 प्रशासनिक ब्लॉक होगा, जबकि दूसरा G+9 प्रशासनिक ब्लॉक होगा, जिसमें 700 व्यक्तियों की क्षमता वाला सभागार होगा। कुलपति ने बताया है कि इसे पूरा करने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है। दो भवनों के अलावा प्रस्तावित योजना में G+7 विज्ञान ब्लॉक का भी प्रावधान है। 151 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से जी+9 पीजी गर्ल्स हॉस्टल और जी+9 यूजी गर्ल्स हॉस्टल भी बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि साइंस ब्लॉक और पीजी, यूजी गर्ल्स हॉस्टल की परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और उम्मीद है कि जुलाई 2023 से काम शुरू हो जाएगा। इंटरनेशनल हॉस्टल, रिसर्च सेंटर और डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की बिल्डिंग लगभग बनकर तैयार हो चुकी है। वहीं पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर बिल्डिंग के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है और जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
कुलपति ने बताया कि पीयू को बुनियादी ढांचे की तत्काल आवश्यकता थी और गुणवत्ता अनुसंधान के लिए भी प्रयास कर रहा था। पिछले दो वर्षों में विभिन्न केंद्रीय अनुसंधान वित्त पोषण संगठनों द्वारा 18 परियोजनाओं के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। पीयू की योजना अपने शिक्षकों की छोटी शोध परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की भी है। यह व्यवस्था शोध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए की गई है। पीयू 12 मार्च को अपना एलुमनाई मीट भी मनाएगा। नैक की जरूरतों को देखते हुए कुछ साल पहले एलुमनी एसोसिएशन का गठन किया गया था। पीयू के पास पूर्व छात्रों की समृद्ध सूची है, जो विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं, और पीयू के कायाकल्प में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी, अश्विनी चौबे, रविशंकर प्रसाद, राज्यसभा सांसद मनोज झा समेत कई कद्दावर नेता पीयू के पूर्व छात्र हैं। सीएम नीतीश ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की पुरजोर वकालत की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीयू कभी अपनी अकादमिक उत्कृष्टता के कारण ‘पूर्व के ऑक्सफोर्ड’ के रूप में प्रसिद्ध इसे बंगाल से बिहार और उड़ीसा को अलग करने के बाद लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज पर बनाया गया था।