पटना
बिहार सरकार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी पर विजय चौधरी ने कहा कि ये राज्य का संवैधानिक अधिकार है। अगर केंद्र सरकार कहती है कि 1 लाख करोड़ रूपए दिए तो कोई अहसान नहीं किया ये हमारा हक है। केंद्र की ओर से मदद की बात तो दूर हिस्सेदारी मांगते हैं वो भी नहीं मिलती।
केंद्रीय योजनाओं को घटाने की मांग
विजय चौधरी ने कहा कि केंद्र योजनाओं को घटाने की हमारी मांग है। क्योंकि जितनी केंद्रीय योजनाएं बढ़ेंगी उतना ही राज्यों पर बोझ बढ़ेगा। केंद्रीय योजनाएं सिर्फ छलावा हैं। जिन्हे केंद्र सरकार ही तय करती है। राज्यों की हिस्सेदारी भी वो ही तय करती है। लेकिन कभी भी राज्यों तो समय पर हिस्सेदारी नहीं देती। और रही बात बिहार की तो यहां के लोग अपनी किस्मत खुद लिखते हैं किसी के रहमो करम पर नहीं है।
BJP नेताओं ने बताया था केंद्रीय बजट से बिहार को क्या मिला?
आपको बता दें सुशील मोदी, संजय जायसवाल, रवि शंकर प्रसाद समेत कई बीजेपी नेताओं ने बजट के बाद अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और बताया था कि बिहार को केंद्रीय बजट से क्या मिला है। विजय चौधरी का बयान, उसी संदर्भ में है कि जो दिया वो हमारा अधिकार है, कोई अहसान नहीं किया है, जो मिला वो बिहार का हक है, हिस्सेदारी मांगने पर भी नहीं मिलता है।
वहीं केंद्रीय मंत्री ग्रामीण विकास एवं पंचायती मंत्री गिरिराज सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि बिहार के वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री एनडीए से अलग होने के बाद बिहार को केंद्र से पैसे ना देने का आरोप लगाते रहते हैं। बिहार आज आर्थिक बदहाली में चल रहा है। अगर केंद्र पैसा न दे तो बिहार के अफसरों और नेताओं के गाड़ियों का डीजल खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिहार में 31 करोड़ से अधिक पैसा सरकार ने दिया है।
करों में हिस्सेदारी समय पर देने की मांग
इससे पहले सीएम नीतीश कुमार ने भी बिहार के बजट सत्र में केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी को समय पर आवंटित करने की मांग की थी और कहा था कि हमारे विकास कार्यों के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने कर लगाने और उसे सीमा में बांधने का भी विरोध किया और कहा कि राज्यों के पास पैसा ही नहीं होगा तो कैसे काम होगा। इससे राज्य की स्थिति खराब होगी।
केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र की हिस्सेदारी लगातार कम होती जा रही है। इससे हमारे ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है। यह राज्यों के लिए उचित नहीं। यही नहीं बिजली की दर में भी हम वन नेशन- वन टैरिफ चाहते हैं। अभी धनी राज्यों को सस्ती जबकि हमें केन्द्र से महंगी बिजली मिल रही है। इससे अनावश्यक वित्तीय भार बढ़ रहा है।