तमिलनाडु से सामान बेच भाग रहे बिहारी मजदूर, गृह इलाका पूछकर पिटाई; खौफनाक है उनकी आपबीती

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पटना

तमिलनाडु में हिंदीभाषी मजदूर डरे-सहमे हैं। चेन्नई के बाहरी इलाकों में हो रही मारपीट की घटनाओं के बाद अब वे लोग अपने घर लौटने लगे हैं। तमिलनाडु से बुधवार की देर रात धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस से रांची के रास्ते पटना होते हुए देसरी लौटे चार मजदूरों की आंखों में खौफ दिख रहा था। वहां के एक कपड़ा मिल में धागा कटिंग का काम करने वाले रोनित ने बताया- करीब 20 दिन से वहां पर माहौल खराब है। मेरे भैया और चाचा के दो लड़के अब भी वहीं हैं। उन्होंने मुझे और गांव के तीन अन्य लोगों को टिकट कटवाकर भेज दिया। बोले कि गाड़ी और अन्य चीजें हैं, उसे बेचकर लौट आएंगे। वहां पर बढ़ते हमलों को देखते हुए दहशत में मेरा पूरा परिवार जी रहा है।

सीधी ट्रेन में लोकल करते हैं पिटाईरोनित ने हिन्दुस्तान से हुई बातचीत में बताया कि 24 फरवरी की बात है। हमलोग बस से मिल पर ड्यूटी के लिए जा रहे थे। इसी बीच प्लाई बस स्टैंड पर तमिल युवकों के झुंड ने बस को रुकवाया और पूछा कि तुम लोग कहां के रहने वाले हो। हमलोगों ने बिहार बताया तो तमिल में गाली दी और कहा कि तुमलोगों के कारण हमलोगों की पारिश्रमिक कम हो गई है। उनके धमकाने के बाद हमलोग रातभर तनाव में रहे। रात में ही ट्रेन का टिकट बनवाया और एक दिन बाद दोपहर के डेढ़ बजे निकले। वहां दिन में हमले कम हो रहे हैं। दूसरी कंपनी में धागा कटिंग का काम करने वाले देसरी के तीन लोग भी साथ हो लिए। उनलोगों ने बताया कि बीरापांडे इलाके में मेरे भाई रह रहे हैं। हालांकि वह जगह तमिलनाडु के अनपुरपालियम के टिकेरी मिल से आठ-दस किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन घटना के बाद से दहशत है। अम्मानगर, अंगेरीपालियम और पिचमपालियम में भी माहौल खराब है। महुआ करीब 20 मजदूर गगोविंदपुर, अख्तयारपुर व छितरौली के लोग लौट रहे हैं। ये बिहार आने वाली सीधी ट्रेनों से न आकर दूसरी ट्रेनों से आ रहे हैं। क्योंकि बिहार आने वाली सीधी ट्रेनों में सवार हिंदी भाषियों को स्थानीय लोग पीट रहे हैं।

सुगौली व आसपास के आधा दर्जन गांवों में चिंता दिख रही है। यहां के दर्जनों लोग तमिलनाडु में मजदूरी करते हैं और कइयों के मोबाइल बंद मिल रहे हैं। सुगौली नगर के निमुई, बेलइठ, बिशुनपुरवा आदि गांवों व प्रखण्ड के कैथवलिया, भवानीपुर, गोड़ीगांवा आदि गांवों के बड़ी संख्या में लोग तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर मिलों में काम करते हैं। घर के लोग लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं पर हो नहीं रहा है।

दिन में मोबाइल रखते हैं बंद

तिरपुर राइस मिल में काम कर रहे सुगौली के सुगांव के उपेंद्र राम ने हिन्दुस्तान से फोन पर बातचीत में बताया कि हमलोग जहां हैं, वहीं से घटना की शुरुआत हुई है। लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। डर के कारण कोई मजदूर मिल से बाहर नहीं निकल रहा है।खाने-पीने का सामान मिल मालिक ही उपलब्ध करा रहे हैं। दिन में हमलोग अपना मोबाइल बंद रख रहे हैं। किसी को घर बात करनी होती है तो रात में ही हो पाती है। राज्य के जोलाब, नामकल, कांगियन, मदुरई, सेलम आदि जगहों पर बड़ी संख्या में मजदूर काम कर रहे हैं।

तमिलनाडु कमाने गये मजदूरों के परिजन प्रभा देवी, कौशल्या देवी, रजनी देवी, शालो देवी आदि ने बताया कि उनके पति व पुत्र तमिलनाडु में करीब छह महीने पहले कमाने गए हैं। अपने लोगों को फोन कर रहे हैं लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा है। मोबाइल बंद मिल रहे हैं। कौशल्या देवी ने बताया कि बेटे को फोन किया था। दो-तीन बार घंटी बजी है लेकिन फोन नहीं उठा। अब फोन बंद मिल रहा है। इस बाबत बीडीओ तेजप्रताप त्यागी ने बताया कि वरीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी जा रही है ताकि यहां से लोगों को सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करायी जा सके।

चोरी-छिपे फैक्ट्री में काम करने जा रहे मजदूर, दुकानें बंद

हिंदीभाषी मजदूर और फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लोग सहमे हैं। सात दिन से मजदूर चोरी-छिपे फैक्ट्री में काम करने जा रहे हैं। फुटपाथी दुकानदार भी अपनी दुकानें बंद कर घरों में कैद हो गए हैं। डरे-सहमे सैकड़ों लोग अपनी दुकानें नहीं खोल रहे हैं। कौआकोल थाना क्षेत्र के सोखोदेवरा के कुछ युवकों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ से फोन पर बातचीत में कहा कि हालात बहुत खराब हैं।

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