पटना
पटना हाईकोर्ट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ बिहार के चर्चित आईएएस अधिकारी केके पाठक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। पाठक की ओर से शीर्ष अदालत में पटना हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अर्जी दायर की है, जिसमें उनके विरूद्ध जमानती वारंट जारी करने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट में केके पाठक की अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई होगी। पाठक अभी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं। वहीं, पटना हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 20 जुलाई रखी है। आदेश के मुताबिक अगर वे इस दिन HC में पेश नहीं हुए तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
इससे पहले केके पाठक की हाईकोर्ट से एप्लीकेशन खारिज हो चुकी है। पूर्व महाधिवक्ता ललित किशोर हाईकोर्ट में पाठक की ओर से पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते केके पाठक ने 6 जुलाई के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए पटना हाईकोर्ट में एक अंतरिम आवेदन दायर किया था। इसमें उन्होंने कहा कि विभाग ने अदालत के आदेश का पालन किया था, इसलिए वे उपस्थित नहीं हुए।
हालांकि अदालत ने उनकी एप्लीकेशन खारिज करते हुए 13 जुलाई को कहा कि जब व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया जाता है तो उस संबंधित अधिकारी कर्तव्य है कि वह खुद कोर्ट में उपस्थित हो। अगर किसी कारणवश वह अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने में सक्षम नहीं है तो उसे छूट के लिए अग्रिम आवेदन दाखिल करना होता है। आज तक केके पाठक की ओर से ऐसा कोई आवेदन नहीं आया है। ऐसे में उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना जरूरी है।
क्या है मामला?
केके पाठक के खिलाफ पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना का आरोप लगाते हुए जमानती अरेस्ट वारंट जारी किया था। दरअसल, एक मामले में अदालत ने शिक्षा विभाग को एक शिक्षिका को नियमित टीचर का वेतन देने का आदेश दिया था। मगर उसे नियोजित शिक्षक का वेतन दिया गया।
शिक्षा विभाग पैनल के एक वकील ने कहा कि पाठक ने लगभग एक महीने पहले ही अपना कार्यभार संभाला। इसके बाद से वे प्राथमिकता के आधार पर अवमानना के मामलों के पालन पर खास ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 1000 कोर्ट केस हैं, जिनमें अवमानना के 200 मामले शामिल हैं। कुछ मामले बहुत पुराने हो चुके हैं। मौजूदा केस भी पुराना है। हर मामले में अगर सीनियर अधिकारी को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाए, तो फिर मुश्किल हो जाता है।