भागलपुर
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में दोबारा से सिल्क इंस्टीट्यूट शुरू किया जाएगा. इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है. इसके बाद सिल्क सिटी के नाम से मशहूर भागलपुर के विकास में एक और नया अध्याय जुड़ जाएगा. टीएमबीयू के वीसी प्रो. जवाहर लाल ने बताया कि रेशम इंस्टीट्यूट को बढ़ावा देने में टीएमबीयू की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. सिल्क संस्थान बंद हो जाने के कारण यहां के छात्र सिल्क की पढ़ाई से वंचित हो गए हैं, जबकि भागलपुर की पहचान सिल्क उद्योग से ही है.
कुलपति ने कहा कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय बी-वोक कोर्स अंतर्गत स्किल डेवलपमेंट के तहत तीन वर्षीय बीएससी की डिग्री देगा. सिल्क की पढ़ाई फिर से शुरू होने पर यहां रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे. साथ ही रेशम का कारोबार भी बढ़ेगा. सिल्क के प्रमोशन के लिए सभी जरूरी पहल भी की जाएगी. सिल्क उत्पाद के निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होगी, जिससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा. इस मुहिम को आगे बढ़ाने में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सिल्क व्यापारियों, विशेषज्ञों व समाज के प्रबुद्ध लोगों की मदद ली जाएगी.
छात्र-छात्राओं द्वारा सर्वे भी करवाया जाएगा
वीसी ने कहा कि सिल्क को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर एमबीए विभाग, पीजी गांधियन थॉट, समाज कार्य विभाग, आईआरपीएम आदि विभाग के शिक्षकों के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं द्वारा सर्वे भी करवाया जाएगा, ताकि सिल्क उद्योग से जुड़े बुनकरों की मूलभूत समस्याओं की जानकारी मिल सके. सिल्क से जुड़े शोध कार्यों को भी बढ़ावा दिया जाएगा.
सिल्क के लिए ये रहेगा कोर्स
इस पाठ्यक्रम के तहत बीएससी इन सेरीकल्चर, बीएससी इन वेबींग, बीएससी इन डिजाइनिंग एंड प्रिंटिंग आदि की डिग्री छात्रों को दी जा सकेगी. इन कोर्सों को विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर शुरू करने के लिए ऑर्डिनेंस बनाकर राजभवन को भेजा जाएगा. कुलपति ने कहा कि सिल्क इंस्टीट्यूट को खोलने के लिए विश्वविद्यालय के पास काफी जमीन है. सभी जरूरी संसाधन भी मुहैया कराए जाएंगे. राजभन और सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा. इन कोर्सों के शुरू होने से टीएमबीयू का नाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित होगा. उन्होंने कहा कि भागलपुर का भौगोलिक परिवेश सिल्क इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए काफी उपयुक्त है.
इनको भेजा जाएगा पत्र
राजभवन, मुख्यमंत्री सहित उद्योग विभाग को पत्र भेजकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाएगा. बता दें कि भागलपुर सिल्क इंस्टीट्यूट एक समय दक्षिण एशिया का एकमात्र संस्थान था. यहां से कई छात्रों का प्लेसमेंट भी हुआ था. भागलपुर, बांका आदि क्षेत्रों में शहतूत के पेड़ बहुतायत संख्या में हैं. जिससे रेशम के कोकून तैयार किए जा सकते हैं. यहां मुख्य रूप से तसर, मालवडी आदि तैयार किए जाते हैं. वीसी ने बताया कि सिल्क संस्थान से उत्तीर्ण छात्र आज शीर्ष मुकाम और ओहदे पर हैं.