इतिहास बचाने की जरुरत:वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी
पटना:
इतिहास से छेड़छाड़ करने वाले से ज्यादा बचाने वाले होते हैं अगर हम सब मिल जाए तो गड़बड़ करने वालों को रोका जा सकता है वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार विधान परिषद सभागार में डॉक्टर एम ए इब्राहिम द्वारा लिखित पुस्तक “जंग आजादी के मुस्लिम शोहदा” का विमोचन करते हुए यह बातें कही। श्री चौधरी ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में सभी धर्म एवं समुदाय का हाथ है भले ही आज कुछ लोग इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन वह यह जान ले की ऐसा कभी नहीं हो सकता उन्होंने कहा कि भारत के लोग मिलकर ऐसी ताकतों को उखाड़ फेकेंगे जो इतिहास बदलने का प्रयास कर रहे हैं। विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि इस किताब में प्रगति सेल विचारधारा जो समाज को जीवित रखने में आगे होती है इसका खास ध्यान रखा गया है। 488 शोहदा को इस पुस्तक में शामिल किया गया यह डॉक्टर एम ए इब्राहिम की मेहनत का नतीजा है उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को भगाने में सभी समाज के लोगों ने मिलजुल कर हिस्सा लिया मुस्लिम समाज के लोग भी अंग्रेजों को भागने पर शहीद हुए जिनका आज हम याद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोगों को जगह नहीं मिल सकी इन पर शोध किया जाना चाहिए और मौजूदा दौर में नई नस्ल का मन और मिजाज बदल रहा है हमें पूर्वजों की बातों पर ध्यान रखना होगा बुद्धजीवि कवि,लेखक, पत्रकार पर बड़ा दायित्व है कि वह आजादी की जंग में शामिल लोगों को याद करने के लिए हमें मार्गदर्शन दें यह ऐसी किताबें पढ़ने से ही पता चलता है कि भूतकाल में किस तरह हमें आजादी मिली कहा कि मौलाना मजहरूल हक जो कौमी एकता की अलामत है उन जैसे लोगों को भी आज याद किया जा रहा है। पुस्तक पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जंगे आजादी के मुस्लिम शोहदा के लेखक डॉक्टर एम ए इब्राहिमी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्रता में मुसलमान की महान कुर्बानी इतिहास का एक बड़ा हिस्सा है हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के सभी शहीदों का वर्णन करना कोई सरल काम नहीं था लेकिन हमने अपने क्षमता अनुसार प्रयास किया उन्होंने गोपी चंद्र नारंग का विशेष धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने इस पुस्तक पर जो लिखा वह सराहनीय है उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि यह पुस्तक विद्वानों एवं साहित्यकारों,शोधकर्ताओं को पसंद आएगी और इसमें और लोगों को जोड़ने का प्रयास जारी रहेगा।
पटना हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा की हम सब जानते हैं कि स्वतंत्रता के लिए सभी ने कुर्बानी दिया ।कुछ नाम को आज भले ही हम ना जाने लेकिन उनकी कुर्बानियों से इनकार नहीं किया जा सकता मुस्लिम समाज ने भी बढ़कर अपने कुर्बानी दी जिस वजह से उनके नाम इतिहास में दर्ज हुए। उन्होंने बिहार के मुसलमान की कुर्बानी को याद करते हुए कहा कि गुमनाम लोगों को भी इकठ्ठा करने की जरूरत है।
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बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि आज पूरे विश्व देश में हड़कंप है। मुसलमान की शहादत से लोग इनकार कर रहे हैं ऐसे लोगों के लिए यह किताब बहुत जरूरी है इतिहास को भुलाने की कोशिश की जा रही है मुगलकाल के इतिहास को मिटाया जा रहा है भारत की स्वतंत्रता में दलित और मुसलमान ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया भले ही आज स्वतंत्रता में रुकावट बनने वाले और माफी मांग कर बचाने वाले लोग कुछ विशेष समुदाय के लोगों को भूलने की कोशिश कर रहे हैं उन्होंने सैफ भिखारी जैसे योद्धाओं की बात करते हुए कहा के काफी लोग शहीद हुए लेकिन कुलीन उच्च जाति के कुछ लोगों ने देश को बांटने के खातिर आज गलत अभियान का सहारा ले रहे हैं उन्होंने कहा कि सच बोलना अगर बगावत है तो हम भी बागी हैं और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता के शुद्र और मुसलमान ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका अदा की उन्होंने कालापानी और इंडिया गेट पर लिखि स्वतंत्रता सेनानियों की बात को दोहराते हुए कहा कि कुछ लोग अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे और ऐसे लोगों को लिखने की स्वतंत्रता थी इसलिए सूत्रों और मुसलमान के इतिहास को पेश करने में कमी रह गई हमारे लोग लड़ने में आगे और लिखने में पीछे रहे।
बिहार विधान परिषद के सदस्य गुलाम गौस ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वतंत्रता में मुसलमान के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता ।1857 से शुरू हुआ यह सिलसिला 1947 तक जारी रहा गोरे अंग्रेज भले ही भाग गए लेकिन आज भी काले अंग्रेज मुल्क में नफरत फैला रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि लाल क़िला की दीवारों पर हमारे खून की निशानी आज भी जिंदा है और हमें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है मुस्लिम बुद्धिजीवी एवं उलमाओं की शहादत की मिसाल सबके सामने है अल्लामा फज़ल ख़ैराबादी को पहले कालापानी ले जाया गया वह कालापानी जाने वाले पहले इंसान थे। उन्होंने कहा कि किसी के मिटाने से हम मिट नहीं सकते। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम शोहदा को बुलाने वालों के खिलाफ लोहा लिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष इरशादुल्लाह ने स्वतंत्रता संग्राम में शहीद मुस्लिम लोगों को याद करते हुए कहा के तारीख इस बात की गवाह है कि मुसलमान ने कुर्बानी दी जो उस वक्त की जरूरत थी उन्होंने विभिन्न शहीदों का भी ज़िक्र किया और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा की आज फिर कुर्बानी देने का समय आ गया है ऐसे में हम सब लोगों को अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना चाहिए उन्होंने उल्मा सादिकपुर की कुर्बानी पर संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी नई नस्ल को अपने अकबीन को याद रखना होगा।
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शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अफजल अब्बास ने कहा के ऐसी किताबें बहुत कम देखने को मिलती है जिसमें मुस्लिम शोहदा को इतनी बड़ी संख्या में याद किया गया है 6300 मुसलमान का नाम इंडिया गेट पर है जो स्वतंत्रता सेनानी थे। डॉक्टर इब्राहिम ने स्वतंत्रता में शामिल लोगों की शहादत को इस किताब में इकट्ठा किया टीपू सुल्तान, हैदर अली, झांसी की रानी के साथ काम करने वाले लोगों को आज हम भूलने लगे हैं ।उन्होंने दावा किया की स्वतंत्रता संग्राम में 90% मुस्लिम समाज के लोग थे इन पर शोध किया जाना चाहिए उन्होंने कहा कि हमें स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान निछावर करने वाले लोगों को बराबर याद करते रहना चाहिए ताकि इस दौर में भी जो लोग हमें कैद करने की कोशिश कर रहे हैं उनकी नाकाम कोशिशें को रोका जा सके।
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष इरशाद अली आजाद ने कहा कि जंग ए आजादी में शहीद मुसलमानों को नहीं भूल जा सकता इतिहास में दर्ज है की 1857 में हुए संग्राम में पेड़ों पर अंग्रेजों ने मुसलमान की लाश को टांग दिया था और यह कुर्बानी खास तौर से हमारे उलमा की थी। हमारा बुद्धिजीवी वर्ग के साथ सभी समुदाय के लोग इस आजादी में साथ रहे लेकिन आज लोग हमारी कुर्बानी को भूलने की कोशिश कर रहे हैं। विधानसभा के पूर्व सदस्य डॉक्टर इजहार अहमद ने जलसे को खिताब करते हुए कहा कि डॉक्टर इब्राहिम ने नई नस्ल को जगाने का काम किया है हमारा फर्ज बनता है कि और लोगों को इस सूची में शामिल करें तथा अपने शहीदों को याद करते रहे। जब तक हम खुद अपने बुजुर्गों को याद नहीं करेंगे समाज के दूसरे लोग भी उन्हें भूल जाएंगे।कार्यक्रम के दौरान पत्रकार अनवार उल्लाह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।ओबैदुर रहमान ने स्वागत भाषण दिया जब कि मंच का संचालन याकूब अशरफी ने किया।