पटना
विपक्षी एकता की मुहिम के बीच महागठबंधन के सहयोगी दल हम के अध्यक्ष और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है। इस बीच उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि लगातार जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री ने आगे बढाने का काम किया, यहां तक कि मुख्यमंत्री भी बनाया। पहले वे हमलोगों के साथ पूर्व के गठबंधन में थे। हमने अपने वोटर से संतोष मांझी को विधान पार्षद भी बनाया था। मुख्यमंत्री ने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और संतोष मांझी को भी मंत्री बनाया। कोई ये नहीं कह सकता कि उन्होंने सम्मान नहीं दिया। हमेशा बढ़चढ़ कर, जितना हो सकता था, उनको हमेशा सम्मान दिया।
महागठबंधन का हिस्सा नहीं रहना चाहते मांझी
मंगलवार को मीडिया से बातचीत में तेजस्वी ने कहा कि जब पुन हमलोग महागठबंधन में आए तो हमलोग सबको साथ लेकर आए। उसमें भी संतोष मांझी मंत्री बने रहे। जदयू अध्यक्ष ललन सिंह और विजय कुमार चौधरी ने संतोष मांझी के इस्तीफे की चिह्वी दिखा ही दिया है। उसमें साफ तौर पर लिखा है कि निजी कारणों की वजह से वे साथ चलने के लिए तैयार नहीं है। साथ नहीं चल सकते हैं, इसका मायने सभी राजनीतिज्ञ जानते हैं। कहां क्या है, उनकी सोच क्या है, इस पर हम कुछ नहीं कह सकते। लेकिन जो चिह्वी में उन्होंने लिखा है उससे बातें स्पष्ट कि महागठबंधन का अंग रहना वे नहीं चाहते हैं।
जदयू में पार्टी के विलय का था दबाव
मंगलवार को संतोष सुमन एससी-एसटी कल्याण विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मीडिया को बताया कि उन पर जेडीयू में पार्टी के विलय का दबाव बनाया जा रहा है। इससे पहले जीतन राम मांझी ने लोकसभा चुनाव 2024 में कम से कम 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की डिमांड रख दी थी। और नीतीश कुमार से मुलाकात भी थी। जिसके बाद से मांझी के डोलने के कयास लगाए जाने लगे थे। इन अटकलों को सबसे ज्यादा बल तब मिला था। जब जीतन राम मांझी ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। जिसके बाद से उनके एनडीए में शामिल होने की कयास लगाए जाने लगे थे। और अब इस्तीफे के बाद जदयू और आरजेडी ने मान लिया है कि मांझी अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं है।