2 साल से अगवा 7 साल की खुशी की तलाश में नाकाम CBI ने रखा 5 लाख ईनाम, नवरूणा कांड में 10 लाख थी राशि

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मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर से अगवा 6 वर्षीय खुशी को खोज पाने में केंद्रीय जांच एजेंसी  सीबीआई को सफलता नहीं मिली। सीबीआई ने खुशी की तलाश के लिए पांच लाख नगद का इनाम घोषित किया है। सीबीआई की ओर से नोटिस जारी कर कहा गया है कि खुशी को लेकर जो भी व्यक्ति सटीक सूचना देगा उसे 5 लाख का नगद इनाम दिया जाएगा। उनकी पहचान भी गुप्त रखी जाएगी।

मुजफ्फरपुर में सीबीआई की यह दूसरी विफलता है। इससे पहले देश भर में चर्चित नवरुणा अपहरण कांड को साधन में सीबीआई को सफलता नहीं मिली। कई सालों की जांच के बाद भी केंद्रीय एजेंसी  न तो नवरूणा को खोज पाई और न उसके गुनाहगारों को। सातवीं की छात्रा नवरूणा चटर्जी को जमीनी विवाद में घर से 17 सितम्बर 2012 का रात को अगवा कर लिया गया था। इसमें कई बड़े सफेदपोशों पर नवरूणा के माता पिता ने आरोप लगाया था। करीब 8 साल की छानबीन के बाद सीबीआई इस कांड की गुत्थी नहीं सुलझा पाई तो 10 लाख ईनाम का इश्तेहार लगाकर अपनी नाकामी छुपाई थी।

मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा से 7 वर्षीय खुशी को 16 फरवरी 2021 को अज्ञात लोगों द्वारा अगवा कर लिया गया था।  पटना हाईकोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2022 में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने इस केस को टेकओवर किया था।  22 दिसंबर को खुशी के अपहरण का एफआईआर दर्ज किया।  तब से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। खुशी को खोज निकालने में विफल सीबीआई ने उसका सुराग देने वाले को $5 लाख इनाम देने की घोषणा की है।

मासूम बच्ची खुशी 2021 में तब गायब हो गई थी जब अपने घर के पास सरस्वती पूजा के पंडाल में परिजनों के साथ गई थी।  इस मामले में मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा थाने में आईपीसी की धारा 363 के तहत कांड दर्ज किया गया था।  लेकिन पूरा पुलिस उसका पता लगाने में नाकाम रही। परिवार वालों ने दो संदिग्ध का नाम भी पुलिस को बताया। इस मामले में मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी ने दो संदिग्ध पॉलीग्राफ टेस्ट कराया। उसके बाद भी खुशी का पता नहीं लगा पाई।

अपने बच्चे की तलाश में मुजफ्फरपुर पुलिस की कार्यशैली से निराश खुशी के पिता रंजन शाह ने हाईकोर्ट का सहारा लिया। जस्टिस राजीव रंजन की बेंच के आदेश पर मामले में सीबीआई जांच शुरू हो गई। रंजन साह ने बताया कि ब्रह्मपुरा पुलिस ने इस मामले में सही तरीके से काम नहीं किया। न साक्ष्य का संकलन किया गया और न  केस डायरी ठीक से लिखी गई। छानबीन के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई और कागज पर ही छानबीन होकर रह गई।  ब्रह्मपुरा पुलिस ने घटनास्थल का सीसीटीवी फुटेज भी जब्त नहीं किया।  इसकी वजह से कोई वैज्ञानिक विश्लेषण कांड में नहीं किया जा सका। खुशी के अगवा होने के बाद पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। आसपास के थानों में वालेस मैसेज तक नहीं किया गया। सीबीआई जांच के लिए दिए गए आदेश में कहा गया था कि ब्रह्मपुरा थाना में दर्ज कांड के अनुसंधानक  2 साल तक मामले को दबाए रखा।  और एक दुर्भाग्य शाली पिता अपनी बच्ची को पाने के लिए यहां से वहां दौड़ता रहा।  तत्कालीन अनुसंधानक ने अपने वरीय अधिकारियों के निर्देश का भी ठीक तरीके से पालन नहीं किया।

खुशी अपहरण कांड में हाईकोर्ट के आदेश से सीबीआई ने जांच तो शुरू किया लेकिन, 3 महीने की छानबीन में कुछ भी उसके हाथ नहीं लगा। अब सीबीआई ने सुराग देने वाले के लिए 50 लाख का इनाम की घोषणा कर दी।

बताते चलें कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित नवरुणा अपहरण कांड में सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट लगा चुकी है। 24 नवंबर 2020 को कोर्ट में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया। इस मामले में सीबीआई कोई भी साक्ष्य इकट्ठा करने में नाकाम रही। नवरुणा गायब हो गई, उसकी हत्या हो गई लेकिन नवरुणा के गुनाहगार अभी भी कानून के शिकंजे से बाहर हैं। सीबीआई जैसी एजेंसी भी पकड़ने में नाकाम है।

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