पटना
भाजपा विधायक लखेन्द्र कुमार रौशन को विधानसभा से दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। उनपर सदन के अंदर माइक तोड़ने और असंसदीय आचरण का आरोप है। विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने उनके निलंबन की घोषणा की। इससे उत्तेजित भाजपा सदस्य वेल में आकर हंगामा करने लगे। बाद में उन्होंने सदन का बहिष्कार कर दिया और पोर्टिको में मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गए। इस घटना को लेकर पूरे दिन विस में गतिरोध बना रहा। हाल यह हो गया कि कार्यवाही खत्म होने के बाद सत्ता पक्ष के विधायकों को बाहर जाने का रास्ता ही नहीं मिला। जबकि, विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को सुरक्षाकर्मियों के सुरक्षा घेरे में मुख्य द्वार से निकाला गया। अध्यक्ष को बाहर निकालने में सुरक्षाकर्मियों को भारी मशक्त करनी पड़ी। उनकी गाड़ी भी पोर्टिकों में नहीं लग सकी। इस दौरान भाजपा विधायकों ने जमकर नारेबाजी की और सुरक्षाकर्मियों के साथ उलझे भी।
सुबह सत्र शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच हाथापाई की नौबत आ गयी। स्थिति नियंत्रित तथा बीच-बचाव करने के लिए मार्शल सदन में उतर आए। पक्ष-विपक्ष की ओर से एक-दूसरे पर अंगुलियां तरेरी गईं। हो-हंगामा के बीच ही भाजपा विधायक लखेन्द्र ने माइक तोड़ दी। सभाध्यक्ष अवध विहारी चौधरी ने विपक्ष को अनुशासन तोड़ने पर कार्रवाई की चेतावनी दी। इस पर भाजपा विधायक नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में वेल में उतरकर धरने पर बैठ गये। सदन अव्यवस्थित देख सभाध्यक्ष चौधरी ने (11.48 बजे) सभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने भाजपा विधायक पर अलोकतांत्रिक और असंसदीय आचरण का आरोप लगाते हुए स्पीकर से कार्रवाई का अनुरोध किया। हालांकि इसके पहले उन्होंने भाजपा विधायक से खेद प्रकट करने का आग्रह किया था। अध्यक्ष ने उन्हें अवसर भी दिया, लेकिन भाजपा विधायक तैयार नहीं थे। उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान उन्हें अपशब्द कहने वाले माले विधायक सत्यदेव राम से भी खेद प्रकट करवाने की मांग की। आरोप लगाया कि उन्हें दलित होने के कारण परेशान किया जा रहा है।
विजय सिन्हा ने किया बचाव
विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि कार्रवाई एक पक्षीय नहीं होनी चाहिए। सत्ता पक्ष की ओर से अपशब्द कहे गये, लेकिन उस मामले में कुछ नहीं हो रहा। यह उचित नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दिनों जब वे आसन पर थे, विपक्षी विधायकों ने सदन के अंदर क्या-क्या किया? आसन को रौंदा गया। उसपर स्पीकर ने कार्रवाई क्यों नहीं की? भाजपा विधायक लखेन्द्र कुमार रौशन ने कहा कि वे तो पूरक पूछ रहे थे। लेकिन केवल दो ही पूरक पूछने का अवसर मिला। तीसरा पूरक के पहले माइक बंद कर दिया गया। वे माइक की हाथों से जांच कर रहे थे। उन्होंने माइक नहीं तोड़ी। यदि ऐसा होता तो अभी काम कैसे कर रहा है?
तेजस्वी ने विजय सिन्हा पर कसा तंज
डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव भी खड़े हुए, और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष के नेता असमर्थनीय का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके बजाय अध्यक्ष को दोष दे रहे हैं। जो कुछ भी हुआ वह वीडियो फुटेज में स्पष्ट था और किसी बहाने के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन सिन्हा वही कर रहे हैं जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही है, क्योंकि उनका खुद का व्यवहार अलग नहीं रहा है। तेजस्वी और विपक्ष के नेता के बीच जुबानी जंग हुई, राजद और विपक्ष के सदस्य अपने नेताओं की ढाल बने रहे।
मुझे अपमानित करने की कोशिश- रौशन
हालांकि इस बीच स्पीकर ने रौशन को एक बार फिर मौका दिया कि वह अपना पक्ष रखें और अगर वह माफी मांगना चाहते हैं। हालांकि, लखेंद्र रौशन ने स्पीकर के इस आग्रह के बावजूद विपक्ष और उनके बंद माइक पर दोष मढ़ दिया और कहा कि उनका आचरण वीडियो में सभी को दिखाई दे रहा है। और कहा कि दलित विधायक को अपमानित करने की कोशिश करना पूरी तरह से गलत है। मैं ऐसा नहीं कर सकता। जिसके बाद भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए और बाद में बाहर चले गए।
विधानसभा गेट पर बीजेपी का प्रदर्शन वहीं संसदीय मामलों के मंत्री ने भी विधायक की जाति की आड़ में अपने कदाचार को छिपाने के प्रयास पर आपत्ति जताई। उन्होने कहा कि यह और भी घृणित है कि एक विधायक अपने कुकर्मों को छिपाने के लिए जाति को ढाल के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करता है। यह दलितों को अधिक नुकसान पहुंचाता है। जिसका अनुकरण करने के लिए अंबेडकर जैसे प्रतीक हैं। जिसके बाद भाजपा नेता नारेबाजी करते हुए विधानसभा के प्रवेश द्वार पर बैठ गए। वे तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ नौकरी के लिए जमीन में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाते हुए विपक्ष को चुप कराने का कोशिश का आरोप लगा रहे थे।