इस दुर्गा पूजा बंगाल-केरल में धमाल मचाएंगी बिहार की खास इकत साड़ियां

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भागलपुर

इस बार दुर्गापूजा के मौके पर बंगाल की महिलाएं चंपानगर की इकत साड़ी पहनेंगी। भागलपुर के बुनकर कॉटन, लिनन व सिल्क धागे में इकत प्रिंट की साड़ियां तैयार करने में जुट गए हैं। यह साड़ी मुख्य रूप से मसकन व नाथनगर में ही तैयार होती है। साड़ी को तैयार करने में दो हजार बुनकर जुटे हुए हैं। यहां से पांच करोड़ रुपये के साड़ियों का ऑर्डर मिला है।

इस बाबत चंपानगर के बुनकर चंदन कुमार ने बताया कि दुर्गापूजा में बंगाल के हर एक घर की महिलाएं सिल्क साड़ी पहनती हैं। इसीलिए मुख्य रूप से सिल्क में इकत साड़ी तैयार की जा रही है। एक माह में साड़ी को तैयार कर जल्द ही व्यवसायियों को उपलब्ध करा दी जाएगी। बुनकर संजीव कुमार ने बताया कि इस साड़ी को बनाने में काफी मेहनत लगती है। साड़ी कई रंगों में तैयार हो रही है। यह साड़ी कॉटन, लिनन व सिल्क में तैयार हो रही है। साड़ी काफी आरामदायक होती है। इसमें कहीं अधिक कलर तो कहीं कम कलर डाला जाता है। इससे देखने में यह काफी खूबसूरत लगती है। यह साड़ी काफी चमकीली होती है। कॉटन व सिल्क की साड़ियों की कीमत एक हजार से चार हजार रुपये तक है।

कॉटन दुपट्टा भी हो रहा तैयार

लोदीपुर के बुनकर भोला प्रसाद ने बताया कि भागलपुर में तैयार इकत साड़ी की मांग बंगाल में अधिक होती है। अब इसे बिहार व मुंबई की महिलाएं भी काफी पसंद कर रही है। इस कारण हाल में इकत प्रिंट की साड़ियों की मांग लगातार बढ़ रही है। कुछ डिजाइन की साड़ियां ऐसे तैयार होती है, जिसे महिलाएं दोनों बगल से पहन सकती हैं। अब कॉटन दुपट्टा भी तैयार हो रहा है। इसकी कीमत 150 से 400 रुपये तक है।

आंध्रप्रदेश में बनती है मुख्य रूप से यह साड़ी 

बिहार बुनकर कल्याण समिति के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि इकत साड़ी मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश में तैयार होती है। अब भागलपुर के मसकन व नाथनगर के बुनकर इसे काफी अच्छे तरीके से तैयार कर रहे हैं। यहां की साड़ी की क्वालिटी के कारण इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। इस बार बंगाल से बुनकरों को पांच करोड़ रुपये की साड़ी की डिमांड आयी है। इसके साथ केरल में ओणम पर्व को लेकर भी पांच करोड़ की प्लेन सिल्क साड़ी तैयार की जा रही है। दोनों जगहों की साड़ियों में दो हजार से अधिक बुनकरों को रोजगार मिला है।

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