भागलपुर
इस बार दुर्गापूजा के मौके पर बंगाल की महिलाएं चंपानगर की इकत साड़ी पहनेंगी। भागलपुर के बुनकर कॉटन, लिनन व सिल्क धागे में इकत प्रिंट की साड़ियां तैयार करने में जुट गए हैं। यह साड़ी मुख्य रूप से मसकन व नाथनगर में ही तैयार होती है। साड़ी को तैयार करने में दो हजार बुनकर जुटे हुए हैं। यहां से पांच करोड़ रुपये के साड़ियों का ऑर्डर मिला है।
कॉटन दुपट्टा भी हो रहा तैयार
लोदीपुर के बुनकर भोला प्रसाद ने बताया कि भागलपुर में तैयार इकत साड़ी की मांग बंगाल में अधिक होती है। अब इसे बिहार व मुंबई की महिलाएं भी काफी पसंद कर रही है। इस कारण हाल में इकत प्रिंट की साड़ियों की मांग लगातार बढ़ रही है। कुछ डिजाइन की साड़ियां ऐसे तैयार होती है, जिसे महिलाएं दोनों बगल से पहन सकती हैं। अब कॉटन दुपट्टा भी तैयार हो रहा है। इसकी कीमत 150 से 400 रुपये तक है।
आंध्रप्रदेश में बनती है मुख्य रूप से यह साड़ी
बिहार बुनकर कल्याण समिति के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि इकत साड़ी मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश में तैयार होती है। अब भागलपुर के मसकन व नाथनगर के बुनकर इसे काफी अच्छे तरीके से तैयार कर रहे हैं। यहां की साड़ी की क्वालिटी के कारण इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। इस बार बंगाल से बुनकरों को पांच करोड़ रुपये की साड़ी की डिमांड आयी है। इसके साथ केरल में ओणम पर्व को लेकर भी पांच करोड़ की प्लेन सिल्क साड़ी तैयार की जा रही है। दोनों जगहों की साड़ियों में दो हजार से अधिक बुनकरों को रोजगार मिला है।