राहुल गांधी पर प्रशांत किशोर ने BJP को दिखाया ‘अटल’ आईना, छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता

ब्रेकिंग राजनीति

पटना

मोदी सरनेम केस में गुजरात के कोर्ट से 2 साल की सजा दिए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त होने पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। पीके ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छीन जाने पर भाजपा को नसीहत का आइना दिखाया है।  बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की कविता की पंक्ति याद दिला कर प्रशांत किशोर ने भाजपा पर तंज कसा है।

राहुल गांधी के डिसक्वालीफिकेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा है कि इस मामले में जल्दी बाजी की गई। भाजपा को बड़ा दिल दिखाना चाहिए था। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि इस मामले में 2 साल की सजा कुछ अधिक है। भारत की राजनीति में जब नेता मंच से भाषण देते हैं तो वाद-विवाद और टीका- टिप्पणी के क्रम में ऐसी बातें होती रहती हैं। भारत के लोकतंत्र में यह पहली घटना नहीं है। और आखरी भी नहीं है।  राहुल गांधी के मोदी सरनेम वाली टिप्पणी पर  पर 2 साल की सजा प्रशांत किशोर ने ज्यादा बताया।  हालांकि प्रशांत किशोर ने अपनी बात कहने के साथ-साथ यह भी कहा कि मैं कानून की प्रक्रिया का पूरा सम्मान करता हूं।

जनसुराज पदयात्रा पर निकले पीके ने अपने बयान में कहा कि भाजपा के मित्रों को इस मामले में थोड़ा धैर्य और संयम से काम लेना चाहिए था। अगर अदालत ने 2 साल की सजा का निर्णय ले ही लिया तो सदस्यता समाप्ति के बिंदु पर उन्हें विचार करना चाहिए था। पीके ने बीजेपी के नेताओं को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई द्वारा लिखित पंक्ति याद दिलाई कि “छोटे मन से कोई कोई बड़ा नहीं होता”।  राहुल गांधी को कम से कम इतना अवसर दिया जाना चाहिए था कि ऊपरी अदालत में जाकर अपनी बात रख सकें। अगर वहां से भी राहुल गांधी को राहत नहीं मिलती तो उनकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती। इस मामले में बीजेपी ने अपने ही बड़े नेता की बातों का मान नहीं रखा।

प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के नेताओं पर भी  वार किया।  उन्होंने कांग्रेसी नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया।  पीके ने कहा कि कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं को यह पता ही नहीं है कि वह किस लड़ाई में हैं और उन्हें कैसे काम करना चाहिए। कांग्रेस के नेता आज भी यही समझते हैं कि दिल्ली में बैठकर कुछ ट्वीट कर देना या पार्लियामेंट तक मार्च कर देना काफी है। लेकिन इससे राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। राजनीतिक लड़ाई गांव में जाकर जमीन पर लड़ी जाती हैं। गांव की गलियों से चुनाव के बूथ तक जाना पड़ता है। जब तक कांग्रेस के बड़े नेता जमीन पर नहीं उतरेंगे तब तक उनके साथ ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।

पीके ने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद भी कांग्रेस के वर्कर मन से विरोध में नहीं उतरे।  कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को चाहिए किस बात को गांव-गांव गली-गली जाकर लोगों तक पहुंचाएं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मैं शुक्रवार को  मढ़ौरा में लगभग 20 किलोमीटर की पदयात्रा पर रहा। लेकिन कहीं भी कांग्रेसी कार्यकर्ता का विरोध नहीं दिखे।

राहुल गांधी के साथ जो भी हुआ उसकी लड़ाई सिर्फ मीडिया के जरिए नहीं लड़ी जा सकती।  कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं को इसके लिए रोड पर उतरना होगा और जन- जन तक अपनी बात पहुंचाना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *