नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में हिंडनबर्ग की अडानी समूह की कंपनियों से जुड़ी रिपोर्ट के पीछे आपराधिक साजिश के आरोप को लेकर शुक्रवार को सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र और सेबी को इस विवाद के मद्देनजर उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट के साथ वापस आने का निर्देश दिया। SC ने दोनों से पूछा कि आखिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद मार्केट में गिरावट आने के पीछे के क्या कारण थे? साथ ही भविष्य में दोबारा ऐसी घटना न हो, इसे रोकने के लिए उठाने जाने वाले कदमों के बारे में सुझाव भी मांगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सरकार और सेबी से सुझाव लेने के बाद नोट तैयार करने का निर्देश दिया। साथ ही बाजार को रेगुलेट करने वाले कानूनों में उचित संशोधनों की सिफारिश करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी का प्रस्ताव भी रखा। कोर्ट ने यह चेतावनी देते हुए कहा कि हम जो भी कहते हैं उसका मार्केट सेंटिमेंट्स और निवेशकों के आत्मविश्वास पर असर पड़ सकता है। पीठ ने कहा कि निवेशकों की सुरक्षा के लिए मजबूत तंत्र स्थापित करने की जरूरत है क्योंकि पूंजी की बगैर रोक-टोक आवाजाही है और मध्यम वर्ग शेयर बाजार में तेजी से निवेश कर रहा है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे आपराधिक साजिश का आरोप
एससी में दायर याचिकाओं में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे आपराधिक साजिश की आशंका व्यक्त करते हुए दावा किया गया है कि इसकी वजह शेयर बाजार अचाक नीचे गिरा, जिससे निवेशकों का भारी नुकसान हुआ। याचिका में कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के नैट एंडरसन और उनकी भारतीय संस्थाओं ने मिलकर आपराधिक साजिश रची। इसी के तहत 25 जनवरी 2023 से पहले और उसके बाद सैकड़ों अरब डॉलर की शेयर की बिक्री की। इसके बाद उन्होंने कथित तौर पर मनगढ़ंत रिपोर्ट जारी की।
मालूम हो कि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी और बेशर्म स्टॉक हेरफेर में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसे अडानी समूह ने खारिज किया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसम्हिा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने वकील मनोहर लाल शर्मा और वकील विशाल तिवारी की याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई की गुहार गुरुवार को स्वीकार की थी। बेचं ने उन मामलों को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। तिवारी से पीठ के समक्ष ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान अपनी याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने की गुहार लगाई थी। पीठ ने उनकी याचिका को शशर्मा की याचिका के साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।