बहरेपन के शिकार बच्चों के लिए वरदान बना श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट, हुईं 32 हजार जांचें

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कम सुनने की क्षमता या बहरेपन के शिकार बच्चों को ​जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की काफी मदद मिल रही है. ऐसे बच्चों के लिए श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट वरदान बन चुका है. बच्चे अब प्रतिक्रिया दे रहे हैं, यह देख उनके माता-पिता भी खुश हैं. अपने बच्चों को देख उनमें उम्मीद जगी है और यह सब श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के कारण हो रहा है. इस प्रोजेक्ट पर डीएम डॉ. एसएम त्यागराजन खुद नजर रखे हुए हैं.

प्रशासन की सजगता का परिणाम है कि आज अनेकों बच्चे जो हियरिंग लॉस की समस्या से ग्रसित थे, उन्हें निःशुल्क इलाज मिल रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति पटना द्वारा गया की इस उपलब्धि को मॉडल के रूप में प्रदेश के अन्य 9 जिलों यथा, पटना, नालंदा, भागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया एवं वैशाली में भी लागू किया जाएगा. इन जिलों में हियरिंग लॉस से ग्रसित बच्चों को निशुल्क इलाज दिया जाएगा. इसके लिए राज्य स्वास्थ समिति एवं डॉक्टर एसएन मल्होत्रा मेमोरियल यूपी के बीच एमओयू साइन हुआ है.

छह साल से कम उम्र वाले बच्चों पर विशेष ध्यान
गया डीएम डॉ. त्यागराजन के निर्देश के अनुसार, आईसीडीएस तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों की संयुक्त टीम द्वारा जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह साल से कम उम्र वाले बच्चों के हियरिंग लॉस का स्क्रीनिंग कार्य चलाया जा रहा है. इसके तहत कमजोर श्रवण शक्ति वाले बच्चों को चिन्हित कर उनकी लाइन लिस्टिंग कर चरणबद्ध तरीके से इलाज कराया जा रहा है. बच्चों को इलाज के लिए पटना स्थित एम्स तथा कानपुर भेजा जाता है. कानपुर में बच्चों के श्रवण शक्ति की गंभीरता के अनुसार सर्जरी कर कॉकलियर इंप्लांट किया जा रहा है. डीएम ने निर्देश दिया है कि स्क्रीनिंग कार्य की गति को बढ़ाते हुए अधिक से अधिक बच्चों की स्क्रीनिंग की जाए. हियरिंग लॉस होने पर बच्चों के समुचित इलाज के लिए उन्हें संबंधित अस्पताल भेजा जाए.

32 हजार से अधिक बच्चों के कानों की हुई जांच
स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी नीलेश कुमार ने श्रवण श्रुति कार्यक्रम की उपलब्धि के बारे में बताया कि अब तक जिले में 32 हजार से अधिक बच्चों के कानों की जांच की गई है. पूर्ण बहरेपन हेतू चिन्हित बच्चों की संख्या 53 है. तत्कालीन बहरेपन छेद चिन्हित बच्चों की संख्या 79 है. 53 बच्चों में 7 बच्चों का सर्जरी की मदद से कॉकलियर इंप्लांट किया गया है. 16 बच्चों के कॉकलियर इंप्लांट के लिए सर्जरी से पूर्व सभी जांच की जा चुकी है. सर्जरी के लिए 30 बच्चों को चिन्हित किया गया है. सर्जरी में सभी प्रकार का आवश्यक खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, यूनिसेफ के अधिकारी कोर टीम में शामिल हैं, जिनके द्वारा प्रोजेक्ट के कार्यों की समीक्षा तथा अनुश्रवण किया जाता रहता है.

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