वर्दी पहन समाज की हिफाजत को बेटियों की चाहत बुलंद, इन हालातों ने बढ़ाया हौसला

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पटना

बेटियां किसी से कम नहीं हैं। मेडिकल और इंजीनियरिंग में कॅरियर के अलावा शिक्षक बनने की चाह उनमें ज्यादा होती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं रहा। पुलिस की चुनौती भरी नौकरी में भी उनकी उतनी ही दिलचस्पी है जितनी बाकी की नौकरियों में थी। आज की लड़कियां वर्दी वाली नौकरी में जाने के लिए न सिर्फ इच्छुक हैं बल्कि पढ़ाई के दौरान ही इसकी तैयारी में भी जुट जा रही हैं। इसके पीछे सिर्फ नौकरी पाना मकसद नहीं है। जरूरतमंदों के लिए कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश ने उन्हें वर्दी वाली नौकरी की ओर आकर्षित किया है।

हाल में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा राज्य भर के कस्तूरबा विद्यालय की बेटियों पर सर्वे किया गया था। इसमें राज्य के 545 कस्तूरबा विद्यालय की एक लाख बेटियों को शामिल किया गया था। जब विद्यालय के छात्राओं से उनके कॅरियर के बारे में पूछा गया तो इसमें 67 फीसदी ने कहा कि वो पुलिस में भर्ती होना चाहती हैं। क्योंकि वो निडर होकर समाज में जीना चाहती हैं।

बता दें कि पहली बार बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा इस तरह का सर्वे किया गया था। इसी वर्ष दो महीने तक चले सर्वे में राज्य की कस्तूरबा विद्यालय में पढ़नेवाली 45 फीसदी छात्राओं ने कहा कि वे बचपन से देखती रही हैं कि पापा मां को आए दिन पीटते थे। वहीं 35 फीसदी बच्चियों ने खुद की सुरक्षा के लिए पुलिस में भर्ती होने की इच्छा जताई।

आत्मनिर्भर बनने के लिए छपी किताबें

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा साल 2019 में कस्तूरबा विद्यालय की 20 बेटियों की सफलता पर किताबें छापी। 20 बेटियों में 12 बेटियों पुलिस में ही नौकरी कर रही हैं। कोई दरोगा तो कोई इंस्पेक्टर तक बन चुकी हैं। इस किताब को तमाम कस्तूरबा विद्यालय में भेजा गया। किताब को पढ़कर भी कई बेटियों ने पुलिस में भर्ती होना चाहती हैं।

मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के बाद दूसरों को कर रहीं ट्रेंड

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा पिछले पांच साल में तीन लाख से अधिक कस्तूरबा विद्यालय की बेटियों को कराटे और मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया गया है। ये बेटियों अलग-अलग कस्तूरबा विद्यालय से जुड़ी हुई है। इसमें से पांच हजार बेटियों को ब्लैक बेल्ट भी मिल चुका है। अब इन बेटियों को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा ट्रेनर बनाया गया है। ट्रेनर के तौर पर ये छात्राएं अब अन्य बालिका स्कूल और कस्तूरबा विद्यालयों मे जाकर छात्रों को मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दे रही हैं।

101 कस्तूरबा विद्यालय में 11वीं और 12वीं तक की पढ़ाई  

पहले ज्यादातर कस्तूरबा विद्यालय आठवीं तक पढ़ाई होती थी। लेकिन धीरे-धीरे सभी को 12वीं तक किया जा रहा है। राज्य की 101 कस्तूरबा विद्यालय में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई होती है। वहीं छठीं से आठवीं तक 483 विद्यालय हैं। इसके अलावा छठीं से 12वीं तक 42 कस्तूरबा विद्यालय हैं। कस्तूरबा विद्यालय में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और बीपीएल श्रेणी में आनेवाले परिवारों की बच्चियों को आवासीय शिक्षा दी जाती है।

बेटियों की कहानी उनकी जुबानी

1. छात्रा सोनी कुमारी कस्तूरबा विद्यालय कुर्जी में 11वीं कक्षा में पढ़ती है। सोनी ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लिया और ब्लैक बेल्ट प्राप्त किया है। सोनी बताती है कि वो पुलिस में इसलिए जाना चाहती है कि उनके गांव में ज्यादातर महिलाएं घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं। आये दिन पति मारपीट करता है।

2. वहीं छात्रा प्रियंका कुमारी कस्तूरबा विद्यालय वैशाली में 10वीं की छात्रा है। प्रियंका ने बताया कि उसने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण इसलिए लिया है कि वो अपनी मां की रक्षा कर सके। प्रियंका ने बताया कि पुलिस में भर्ती हा जाऊंगी तो फिर पापा मेरी मां और बहनों को नहीं मारेंगे। पुलिस की नौकरी पाने के लिए प्रियंका ने प्रैक्टिस भी शुरू कर दी है।

इसलिए चुनना चाहती है कॅरियर

–  सर्वे में 45% बेटियों ने कहा कि मां को आये दिन पापा पीटते हैं
–  पुलिस में रहूंगी तो रात में भी बाहर निकलने में डर नहीं लगेगा
–  पुलिस वालों से सब डरते हैं, पुलिस में रहूंगी तो लड़के डरेंगे
–  पुलिस में रहूंगी तो अपने भाई और बहन की रक्षा कर पाऊंगी

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