मुजफ्फरपुर
केस ब्लाइंड नहीं था लेकिन पुलिस के पास बहुत सुराग भी बहुत नहीं थे। होते तो सीरियल किलर के शिकार बने तीन में से दो प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की जान बचाई जा सकती थी। एक और आदमी आज अस्पताल में मौत से लड़ नहीं रहा होता। आखिरी सीरियल मर्डर के दो सप्ताह बाद मुजफ्फरपुर में एक चाय वाली ने एक मोबाइल फोन बेचा और खरीदने वाले ने उसमें नया सिमकार्ड डालकर नंबर चालू किया। पुलिस को जिस एक सुराग की तलाश थी वो मिली और दो गिरफ्तारियों के बाद सीरियल किलर पुलिस के हाथ लग गया। बिहार पुलिस के लिए यह केस कितना बड़ा चैलेंज था इसका पता इससे चलता है कि केस क्रैक होने की जानकारी पटना में एडीजी जेएस गंगवार ने मीडिया को दी।
मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाने में 30 अप्रैल से 8 मई के बीच ये तीन मर्डर और चौथा जानलेवा हमला हुआ था। 30 अप्रैल की रात संगम घाट इलाके में दांत के एक डॉक्टर के फॉर्म हाउस पर तैनात नाइट गार्ड सुरेश पासवान की हत्या कर दी गई थी। दो दिन बाद 2 मई की रात बजरंग विहार कॉलोनी में दूसरे नाइट गार्ड मुस्तफा अंसारी को मार दिया गया। इसी रात तीसरे गार्ड मोहम्मद दुलारा खलीफा जानलेवा हमले में बच गया लेकिन अब एसकेएमसीएच में भर्ती है और उसकी हालत बहुत ही गंभीर है।
तीसरे गार्ड की हत्या 8 मई की रात हुई जब सीरियल किलर ने अयाछी फेज 2 एरिया में शंकर कुमार राय को अपना शिकार बनाया। पुलिस ने इन सारे केस में एक कॉमन चीज पकड़ी कि हमलावर ने सबकी पॉकेट से पैसा निकाल लिया है और सबके मोबाइल फोन ले गया है। चारों गार्ड के फोन नंबर की तकनीकी जांच से पुलिस को ये भी पता चल गया कि सारे मोबाइल फोन कोल्हुआ-पैगम्बरपुर एरिया में ऑफ किए गए।
जांच इससे आगे बढ़ नहीं पा रही थी। एसएसपी राकेश कुमार ने डाउन डीएसपी राघव दयाल के नेतृत्व में एक एसआईटी बना दी थी। पुलिस टीम सीरियल किलर के हाथ लगे मोबाइल फोन में किसी एक के चालू होने के इंतजार में बैठे थे। तभी आखिरी हत्या के दो सप्ताह बाद एक मोबाइल फोन चालू हो गया। पुलिस टीम फौरन हरकत में आई और जिसके पास मोबाइल था वहां तक पहुंच गई। उसने पुलिस को बताया कि उसने मोबाइल फोन एक चाय बेचने वाली से खरीदा है।
पुलिस ने जब चाय दुकानदार खुशबू को उठाया तो उसने बताया कि उसने शिवचंद्र पासवान नाम के आदमी से दो मोबाइल फोन खरीदा है। पुलिस अपने मंजिल के करीब पहुंच चुकी थी। शिवचंद्र पासवान को पकड़ा गया और पुलिस हिरासत में उसने तीनों हत्या और चौथे जानलेवा हमले के केस में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली। शिवचंद्र पासवान ने पुलिस को बताया कि वो दिन में रेकी करता था और रात में अहले सुबह 3 से 5 बजे के बीच मर्डर करता था। पासवान एक ड्रग्स की लत का शिकार अपराधी निकला जो अपने शिकार की जेब से निकाले पैसे और मोबाइल फोन को बेचकर लत की जरूरत पूरी करता था।