मनीष कश्यप ने फर्जी वीडियो बनाया, शांत तमिलनाडु में अशांति पैदा की; सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

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नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप को झटका देते हुए उसकी एक याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमले के आरोप वाले फर्जी वीडियो कथित रूप से जारी करने के लिए उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाये जाने के फैसले को चुनौती दी गयी है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने कहा कि ‘तमिलनाडु एक शांत राज्य है। क्या आप कुछ भी प्रसारित करके राज्य में अशांति पैदा करेंगे। हम इन सब पर सुनवाई नहीं कर सकते। हालांकि पीठ ने मनीष कश्यप को रासुका लगाये जाने के फैसले को किसी उचित न्यायिक मंच पर चुनौती देने की स्वतंत्रता दे दी, जिसमें हाई कोर्ट को प्राथमिकता दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप के खिलाफ सभी 19 प्राथमिकियों को मिलाने और उन्हें बिहार स्थानांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।

मनीष कश्यप इस समय तमिलनाडु की मदुरै जेल में बंद है। उसकी ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। रासुका के तहत मनीष कश्यप को निरुद्ध किये जाने के फैसले को खारिज करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि वह इस तरह की याचिका को नहीं सुन सकती। मनीष कश्यप के वकील ने कहा कि आरोपी ने कुछ अखबारों में छपी खबरों के आधार पर अपने यूट्यूब चैनल के लिए कथित वीडियो बनाये थे। वकील ने दलील दी कि अगर इस लड़के को जेल में रखा जाता है तो सभी पत्रकारों को जेल में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राथमिकियों को मिला देना चाहिए और बिहार स्थानांतरित कर देना चाहिए जहां पुलिस ने पहली शिकायत दायर की थी।

बिहार की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने राज्य में मनीष कश्यप के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों के ब्योरे का उल्लेख करते हुए याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कश्यप आदतन अपराधी है और उसके खिलाफ जबरन वसूली तथा हत्या की कोशिश जैसे मामले लंबित हैं। तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि आरोपी प्राथमिकियों को मिलाने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में जा सकता है। सिब्बल ने कहा कि वह पत्रकार नहीं है और नेता है, जिसने बिहार में चुनाव लड़ा है। शीर्ष अदालत ने कश्यप के वकील की इन दलीलों पर सहमति नहीं जताई कि अनेक मामलों में रासुका लगाने के फैसले को खारिज किया गया है।

बता दें कि मनीष कश्यप ने 18 मार्च को बिहार के जगदीशपुर थाने में आत्मसमर्पण किया था और उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में उसे तमिलनाडु लाया गया जहां अप्रैल में उसके खिलाफ रासुका लगाया गया। मनीष कश्यप की याचिका के जवाब में तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि राज्य में कश्यप के खिलाफ दर्ज अनेक प्राथमिकियां राजनीति से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि इसलिए दर्ज की गयीं क्योंकि उसने दक्षिणी राज्य में प्रवासी श्रमिकों पर कथित हमले के फर्जी वीडियो जारी करके सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाया।

राज्य सरकार ने दावा किया था कि कश्यप ने झूठे और असत्यापित वीडियो के माध्यम से बिहार के प्रवासी श्रमिकों और तमिलनाडु की जनता के बीच हिंसा को भड़काने का प्रयास किया था। इससे पहले शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार को कश्यप की संशोधित याचिका पर जवाब देने को कहा था।  गिरफ्तार यूट्यूबर के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज कराई गयी हैं जिनमें तीन बिहार में दर्ज हुई हैं। मनीष कश्यप के खिलाफ प्राथमिकियों को मिलाने और गृह राज्य में हस्तांतरित करने की उसकी याचिका पर न्यायालय ने 11 अप्रैल को केंद्र, तमिलनाडु और बिहार की सरकारों को नोटिस जारी किया था।

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