परिवहन कर्मियों की लापरवाही से बिहार सरकार को हुआ 492 करोड़ का नुकसान, सीएजी रिपोर्ट से खुलासा; अनुदान भी नहीं किया खर्च

पटना
परिवहन विभाग के कर्मियों की लापरवाही के कारण सरकार को 492 करोड़ का नुकसान हुआ। अगर कर्मी नियमानुसार गाड़ियों से करों की वसूली करते तो सरकार के खाते में यह राशि जाती। बुधवार को विधानमंडल में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार जिला परिवहन पदाधिकारियों ने 22 हजार 684 वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र का नवीकरण नहीं किया। इन वाहन मालिकों ने जनवरी 2017 से जनवरी 2020 के बीच सड़क शुल्क का भुगतान नहीं किया। इस कारण सरकार को 48 करोड़ 36 लाख का नुकसान हुआ। इसी तरह वाहन डाटाबेस में चूककर्ता वाहन मालिकों द्वारा मोटर वाहन करों का भुगतान नहीं किया गया।
परिवहन कर्मियों ने चूककर्ता वाहनों की सूची नहीं बनाई, जिससे डीटीओ चूककर्ता वाहन मालिकों से कोई राशि की मांग नहीं कर सके। इस कारण सरकार को 17 करोड़ 97 लाख का नुकसान हुआ। एकमुश्त कर वसूली के बिना ही निबंधन चिह्न का निर्धारण किया गया। इससे एक करोड़ 44 लाख की वसूली नहीं हो सकी। सारथी सॉफ्टवेयर में सड़क सुरक्षा उपकरण के परिमापन नहीं होने के कारण लाइसेंस के नवीनीकरण पर 95 करोड़ 44 लाख का कारारोपण नहीं हो सका।
परिवहन विभाग ने अनुदान भी खर्च नहीं किया। विभाग के पास साल-दर-साल अनुदान बचत बढ़ती जा रही है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 14 फीसदी, 2017-18 में 22 फीसदी, 2018-19 में 14 फीसदी, 2019-20 में 43 फीसदी तो 2020-21 में 47 फीसदी अनुदान की राशि बच गई। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अनुदान राशि बचने का यह साफ संदेश है कि विभागीय अधिकारियों ने कुछ योजनाओं या कार्यक्रमों को क्रियान्वित नहीं किया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में विभाग को 359 करोड़ दिया गया। इसके अलावा विभाग को अनुपूरक अनुदान के तहत 42 करोड़ दिए गए, लेकिन विभाग ने 218 करोड़ ही खर्च किये।
यहां हुआ नुकसान
15.52 करोड़ नहीं हुई वाहनों से करों की वसूली
0.40 करोड़ तिपहिया वाहनों से कर की वसूली नहीं
11.87 करोड़ ट्रैक्टर से एकमुश्त कर नहीं वसूले गए
15.73 करोड़ अधिभार की अनियमित वसूली की गई
1.52 करोड़ जुर्माने की वसूली नहीं हुई
189.40 करोड़ फिटनेस प्रमाण पत्र शुल्क की वसूली नहीं
1.80 करोड़ व्यापार कर की वसूली नहीं की जा सकी
255.98 करोड़ अन्य मामलों में करों की वसूली नहीं