कुंवर सिंह के खानदान से जुड़े युवक की मौत, बीजेपी नेत्री का बेटा था बबलू, भाई का आरोप- जवानों ने बेहोश होने तक पीटा

आरा
भोजपुर के जगदीशपुर नगर में वीर कुंवर सिंह के खानदान से जुड़े युवक कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की मौत किले की सुरक्षाकर्मियों की कथित तौर पर पिटाई से हो गयी। जगदीशपुर रेफरल अस्पताल में सोमवार की दोपहर इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। मृतक वीर कुंवर सिंह की वंशज सह भाजपा नेत्री पुष्पा सिंह का 30 वर्षीय पुत्र था। परिजन जगदीशपुर किले में तैनात सीआईएटी जवानों की पिटाई से उसकी मौत होने का आरोप लगा रहे हैं।
इसकी सूचना मिलने पर आक्रोशित लोगों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस को शव उठाने से भी रोक दिया। इस दौरान पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की जा रही थी। परिजन और हंगामा कर रहे लोग मुख्यमंत्री को बुलाने और मारपीट करने वाले जवानों पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज करते हुए गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे।
बबलू सिंह की मौत को लेकर भाई कुंवर अजय प्रताप सिंह ने किले की सुरक्षा में तैनात जवानों पर गंभीर आरोप लगाया है। कुंवर अजय कुमार सिंह के अनुसार बबलू को किले में निवास करने वाले सीआईएटी के जवानों की ओर से पीट-पीटकर मारा गया और अस्पताल में ले जाकर फेंक दिया गया। कुंवर अजय कुमार सिंह ने पुलिस को भी यह बयान दिया है। इतना तक कहा कि जवान किसी महिला को लेकर किले में आ रहे थे। बबलू ने उसे देख लिया था, तब से ही जवान उसके पीछे पड़े थे। इसी कारण पीट-पीटकर उसे अधमरा कर दिया गया। जब वह मरने की स्थिति में पहुंच गया, तो उसे अस्पताल में ले जाकर फेंक दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए, अन्यथा हम सब आगे बढ़ने के लिए बाध्य होंगे।
मौत और हंगामे की सूचना पर थानाध्यक्ष संजीव कुमार पहुंचे, लेकिन लोग उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे। एसडीपीओ श्याम किशोर रंजन और एसडीओ सीमा कुमारी मौके पर पहुंचीं। दोनों अधिकारियों की ओर से लोगों के समझाने पर देर शाम लोगों का गुस्सा शांत हो सका। इसके बाद रात करीब साढ़े आठ बजे पोस्टमार्टम के लिए शव आरा सदर अस्पताल भेजा गया। एसपी विनय तिवारी ने बताया कि किले में तैनात सीआईएटी जवानों पर मारपीट करने का आरोप लगाया जा रहा है। मामले की जांच करायी जा रही है। मृत युवक के परिजनों के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज कर जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। हालांकि एसपी ने युवक को पुलिस हिरासत में लिये जाने और पिटाई किये जाने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा।
सात घंटे बाद एसडीएम की पहल पर उठा शव
जगदीशपुर। बबलू का शव करीब सात घंटे बाद जगदीशपुर एसडीएम सीमा कुमारी की पहल पर मंगलवार की रात साढ़े आठ बजे उठ सका। जानकारी के अनुसार दोपहर एक बजे मौत हो गई थी। इसके बाद से ही अस्पताल में शव पड़ा रहा। रात करीब आठ बजे एसडीएम रेफरल अस्पताल पहुंचीं। उन्होंने कहा कि सारी मांगों पर न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। तब जाकर शव उठ सका। बता दें कि मौके पर एसडीपीओ श्याम किशोर रंजन और तीन थानों की पुलिस मौजूद थे। परिजन शव उठाने को लेकर मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग पर पड़े थे। इस घटना को लेकर करणी सेना से जुड़े लोग भी आक्रोशित हैं।
‘प्रशासन की कमियां व घोटाले उजागर करने पर हत्या’
इधर, बबलू सिंह के परिजन प्रशासन पर एक साजिश के तहत उसकी हत्या कराने का आरोप लगा रहे हैं। परिजनों का कहना है बबलू किले के सौंदर्यीकरण सहित अन्य मामलों में जिला प्रशासन की कमियां और घोटालों को उजागर करता रहता था। इस कारण साजिश के तहत उसकी हत्या करायी गयी है। स्वजनों ने बताया कि बबलू सिंह के शरीर के कई हिस्सों पर पुलिस की पिटाई के जख्म के निशान हैं। इधर, रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का कहना है कि युवक रविवार की रात में आया था। उसका इलाज डॉक्टर दयानंद ने किया। उसे उसी समय रेफर भी कर दिया गया था, लेकिन वह गया नहीं। तब तक उसकी पहचान नहीं हो सकी थी। सोमवार की सुबह मौत के बाद स्थानीय लोगों को सूचना दी गयी। तब युवक की पहचान हो सकी। इसके बाद सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पताल पहुंच गये और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी लोगों में गुस्सा
जगदीशपुर। बबलू सिंह की मौत के बाद परिजन और लोगों में रेफरल अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी काफी गुस्सा दिख रहा था। इसे लेकर लोगों की ओर से अस्पताल के खिलाफ भी नारेबाजी की गयी। दरअसल मौत होने के बाद परिजनों का कहना था कि अस्पताल वाले लिख कर दें कि इसकी मौत अस्पताल में हुई है, लेकिन अस्पताल में कोई मौजूद नहीं है।
घटना के बाद अस्पताल से चले गये प्रभारी सहित सभी अधिकारी
जगदीशपुर। युवक की मौत के बाद से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित सहित सभी जवाबदेह अधिकारी अस्पताल से चले गये। फोन से बातचीत में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का कहना था कि अस्पताल वाले की गलती भी नहीं रहती है और लोग अस्पताल वाले को निशाना बना ले लेते हैं। पहले भी ऐसा हुआ है। ऐसे में यहां रहकर खतरा कौन मोल लेगा?
एएनएम की मीटिंग स्थगित कर निकल गये प्रभारी
अस्पताल में हंगामा बढ़ने के साथ ही एएनएम की मीटिंग स्थगित कर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी निकल गये। डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ भी भय के साये में जी रहे हैं। सभी अपनी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।
