पंजाब, दिल्ली और यूपी के कारोबारियों को 5 करोड़ का चूना लगाया, शातिरों की करतूत जान हो जाएंगे हैरान

पटना
ग्राहक सेवा केंद्र खुलवाने का झांसा देकर कारोबारियों से ठगी के बड़े चक्रव्यूह का खुलासा हुआ है। बैंकिंग से जुड़ी पटना की एक कंपनी ने ग्राहक सेवा केंद्र खोलने के लिए पंजाब, दिल्ली और यूपी के लोगों को डिस्ट्रीब्यूटर बनाकर पांच करोड़ का चूना लगा दिया। कंपनी का नाम माई तारा माइक्रोक्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड है। अनीसाबाद स्थित यूएफओ मॉल के पांचवे तल्ले पर इसका दफ्तर था। ठगी करने के बाद कंपनी के मालिक व कर्मियों ने दफ्तर में ताला लगा दिया और फरार हो गये।
इस बाबत गर्दनीबाग थाने में चार आरोपितों जितेंद्र यादव (हसनपुर समस्तीपुर), धर्मेंद्र कुमार (हसनपुर, समस्तीपुर), सुजाता कुमारी (प. चंपारण) व निकहत जहां (धनबाद) पर केस दर्ज हुआ है। जितेंद्र व धर्मेंद्र भाई हैं। इधर, केस दर्ज होने के बाद पुलिस इनकी तलाश कर रही है। जालसाजों ने पंजाब के जसपाल सिंह, दिल्ली के रमेश कुमार सहित अन्य लोगों से ठगी की है।
कैसे हुई है ठगी
दरअसल, यह कंपनी बिजनेस कॉरेस्पान्डेंट मॉडल पर काम करती थी। इसने ग्राहक सेवा केंद्र खोलने का लाइसेंस सरकारी बैंक से लिया था। इसके तहत कंपनी कई जगहों पर सीएसपी बना सकती थी। कंपनी ने सीधे लोगों से ग्राहक सेवा केंद्र खोलवाने की जगह अलग-अलग राज्यों में मोटी रकम लेकर डिस्ट्रिब्यूटर बनाये। डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से कंपनी सीएसपी (ग्राहक सेवा केंद्र) खुलवाती थी। ग्राहक सेवा केंद्र खोलने वाले सर्विस देने के लिए सीधे कंपनी को पैसे न देकर डिस्ट्रिब्यूटर को देते थे। फिर डिस्ट्रिब्यूटर कंपनी के खाते में पैसे डालते थे। इसी बीच कंपनी के अकाउंट में मोटी रकम आ गयी। मोटी रकम मिलते ही जालसाजों ने सेवाएं देनी बंद कर दी व डिस्ट्रिब्यूटरों के रुपये फंस गये। जब वे पटना पहुंचे तो कंपनी के दफ्तर में ताला लगा मिला।
फोन पर बातचीत करता रहा सरगना
कंपनी के दफ्तर में ताला लगा देख पंजाब और दिल्ली के डिस्ट्रिब्यूटरों के होश उड़ गये। इसके बाद उन्होंने सरगना जितेंद्र को कॉल किया। पीड़ितों के मुताबिक, आखिरी बार बीते सोमवार को जितेंद्र से उनकी बातचीत हुई। तब उसने पैसे वापस करने का आश्वासन दिया। इसके बाद उसका मोबाइल स्विच ऑफ आने लगा।
ग्राहक सेवा केंद्र में ये सेवाएं मिलती थीं
आधार से रुपये निकालने, मनी ट्रांसफर, बिजली बिल भुगतान आदि।
निकाली थी अच्छी स्कीम
कंपनी के खाते में मोटी रकम जमा हो, इसके लिए जालसाजों ने अच्छी स्कीम निकाली। उन्होंने प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर दुकानदारों को ज्यादा कमीशन देना शुरू कर दिया। बैंक से कंपनी को आने वाले कमीशन से भी ज्यादा रुपये दुकानदारों को मिलने लगे। इस कारण कंपनी पर दुकानदारों व डिस्ट्रिब्यूटरों का भरोसा बढ़ता गया और उसके खाते में ज्यादा रुपये जमा हो गये।

