स्मगलरों के लिए हॉट स्पॉट बना मुजफ्फरपुर, चरस व स्मैक की डिलीवरी लेने पहुंच रहे मुंबई-दिल्ली के तस्कर, अफगानिस्तान से नेपाल के रास्ते की पहुंच रही खेप

मुजफ्फरपुर
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में मादक पदार्थों की तस्करी के मामले 441 फीसदी से अधिक बढ़ गए हैं। ये आंकड़े पुलिस की कार्रवाई के बाद दर्ज होने वाले केस के हैं, जबकि वास्तविकता में यह संख्या इससे बहुत अधिक है। जानकारों के अनुसार हर माह जिले में करोड़ों रुपये का चरस व स्मैक का धंधा हो रहा है। वर्ष 2017 में जिले में मादक पदार्थों की तस्करी के 36 केस दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में 159 मामले दर्ज हुए। इस तरह, बीते चार साल में तस्करी के मामलों में चार गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
अफगानिस्तान से नेपाल के रास्ते चरस व स्मैक की खेप भारतीय क्षेत्र में पहुंच रही है। मुंबई व दिल्ली के तस्कर भी नेपाल से आने वाली चरस की डिलीवरी मुजफ्फरपुर में ले रहे हैं। इसके बाद खेप मुंबई और दिल्ली तक पहुंच रही है। मुंबई में इसकी सप्लाई के लिए चर्चित टार्जन गिरोह के शातिरों को पूर्वी चंपारण के चकिया में दबोचा भी गया था। मुजफ्फरपुर से चरस की खेप ले जा रहे थे।
कम उम्र के बच्चों को भी लग रही लत
जिले में निजी स्तर पर विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े पांच नशामुक्ति केंद्र संचालित हैं, जहां हर माह औसतन 135 मरीज पहुंच रहे हैं। इन मरीजों में 90 फीसदी स्मैक व चरस के आदि होते हैं। अब शहर से गांव की ओर चरस-स्मैक का धंधा तेजी से फैल रहा है। शुक्ला रोड स्थित नशा मुक्ति केंद्र संचालक मो. तनवीर आलम बताते हैं कि चरस-स्मैक की लत अब कम उम्र के बच्चों में भी तेजी से फैल रही है। हाल के महीनों में उनके पास दर्जनों की संख्या में 12 से 17 साल के बच्चे भर्ती हुए हैं। स्मैक के नशे की लत की जानकारी बहुत बाद में अभिभावकों को होती है। तबतक बच्चे इसके आदि हो चुके होते हैं।
इन जगहों पर फैला धंधेबाजों का नेटवर्क
अहियापुर, एसकेएमसीएच के आसपास, बैरिया बस स्टैंड के पास, भगवानपुर, गोबरसही, भेल कॉलोनी, पताही फोरलेन से लेकर मधौल तक, रामबाग, मालीघाट, तीन कोठिया, रेड लाइट एरिया, पक्की सराय, स्टेशन व सरकारी बस स्टैंड के पास।
नशेड़ियों से पूछताछ हो तो धंधेबाज होंगे बेनकाब
जानकारों का कहना है कि नशामुक्ति केंद्र में भर्ती होने वाले चरस व स्मैक के नशेड़ियों से पुलिस हर माह इनपुट लेकर छापेमारी करे तो शहर में नशा का धंधा करने वाले तस्करों की लंबी सूची तैयार होगी। इसके बाद मादक पदार्थ तस्करों के खिलाफ अभियान चलाकर इसके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सकता है।
विदेश से जुड़े हैं चरस व स्मैक तस्करों के तार
पाकिस्तान में छपे जाली नोट की सप्लाई करने वाले तस्करों की तरह ही उत्तर बिहार में अफगानिस्तान से चरस व स्मैक मंगवाने वाले गिरोह के तार जुड़े हैं। जाली नोट व चरस स्मैक तस्करी का समानांतर गिरोह नेपाल से उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में फैला है। जाली नोट के मामलों पर एनएआई की नजर है। अब एएनआई के अधिकारी चरस व स्मैक की बड़ी जब्ती होने के बाद उस केस में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बताया गया कि शहर के नगर थाने और मोतिहारी के चकिया थाने में दर्ज एनडीपीएस के दो मामलों में तस्करों के नेटवर्क के संबंध में एएनआई ने पुलिस से जानकारी ली है।
लत पूरी करने के लिए बढ़ गई चोरी की घटनाएं
शुरू में नशे के लिए बच्चे घर में चोरी करते हैं। इसके बाद बाहर चोरी शुरू कर दे रहे हैं। नशे के कारण ही चोरी की वारदात में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जिले में बीते साल 2021 में चोरी व सेंधमारी के 2605 मामले दर्ज किए गए। इसमें असंगठित गिरोह द्वारा चोरी के मामले 2100 से अधिक हैं। नशेड़ी गिरोह असंगठित रूप से चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं।
चरस व स्मैक तस्करी के मामले बढ़े हैं। इसके विरुद्ध अभियान चलाकर लगातार छापेमारी की जा रही है। इस कारण केस की संख्या भी बढ़ी है। इसके बड़े नेटवर्क को पकड़ने में पुलिस टीम जुटी हुई है।