टीबी संक्रमितों के संपर्क में आए बच्चे! बैक्टीरिया से बचाने को दी जाएगी टॉफी जैसी दवा, जानें क्या है सरकार का प्लान

भागलपुर
टीबी संक्रमितों के संपर्क में आने वाले बच्चों के लिए राहत की खबर है। ऐसे बच्चों को टीबी के बैक्टीरिया से बचाने के लिए अब टॉफी जैसी दवा दी जाएगी। इससे बच्चों को टीबी की कड़वी गोलियों को खाने से न केवल निजात मिलेगी, बल्कि इस चूसने वाली टेबलेट को आकर्षक रैपर में टॉफी की शक्ल में बच्चों को दिया जाएगा। टीबी से बचाव के लिए दी जाने वाली इस दवा को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है।
जल्द ही यह दवा सरकारी अस्पतालों को प्रीवेंशन ऑफ टीबी पेशेंट (पीटीपी) के जरिए मिल जाएगी। चूसने वाली इस गोली का नाम आइसोनियाजिड 100 एमजी है। इस दवा के 100 एमजी की खुराक बच्चों को दी जानी है। अभी यह दवा टेबलेट के तौर पर 100 एमजी और 300 एमजी की दो खुराक के अस्पतालों में मौजूद है। सरकार जल्द ही इस दवा को टॉफी के तौर पर भी लाने जा रही है। यह चूसने वाला टेबलेट होगा, जिसे बच्चों को दिया जाएगा।
इस दवा में कड़वापन भी नहीं रहेगा। बच्चों के स्वाद को ध्यान में रखकर यह दवा तैयार की गई है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने बताया कि जल्द ही इस दवा का वितरण शुरू हो जाएगा। यह टीबी संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों को दी जाएगी।
15 लोगों को संक्रमित कर सकता है टीबी मरीज
मायागंज अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीपी सिंह ने कहा कि एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि लक्षण दिखते ही टीबी मरीज की जांच हो और दवा शुरू कर दी जाए। दवा बीच में बंद नहीं होनी चाहिए। अन्यथा टीबी की जटिलताएं बढ़ सकती हैं। टीबी की दवा बीच में छोड़ने वाले लोगों में मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी हो जाता है। इसमें इलाज काफी लंबा और महंगा हो जाता है।
वहीं हाई रिस्क वाले टीबी मरीज के संपर्क में आने वाले बच्चे को 16 से 21 प्रतिशत टीबी होने का खतरा होता है, जबकि सामान्य टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले बच्चों को इससे थोड़ा कम टीबी होने का खतरा होता है। ऐसे में अगर घर में टीबी मरीज जांच में मिलता है तो घर के बच्चों को टीबी सेंटर ले जाकर उसे टीबी से बचाने वाली दवा दिलाएं।
तीन महीने तक दी जाएगी दवा
जिला क्षय रोग अधिकारी ने डॉ. दीनानाथ बताया कि टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) के तहत जिन घरों में टीबी के मरीज हैं, उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को तीन महीने तक निःशुल्क दवा खिलाई जाएगी। जबकि इससे पहले जिन घरों में टीबी के मरीज निकलते थे, उन घरों में पांच साल से छोटे उम्र के बच्चों को ही यह दवा खिलाई जाती थी। बच्चों को 10 एमजी प्रति किलो वजन के हिसाब से टीबी की दवा दी जाती है। यानी अगर 10 किलो का बच्चा है तो उसे आइसोनियाजिड 100 एमजी की दवा दी जाएगी।