बेगूसराय मेयर पद के प्रत्याशी गालिब ने उड़ा दी है बड़े-बड़े राजनेताओं की नींद

क्रिकेट के मैदान से पहचान बनाने वाले गालिब अब रजानीति की पिच पर खेल रहे हैं
विरोधियों ने भी टाइट कर दी है फील्डिंग, लेकिन गालिब इनके ऊपर से मारेंगे सिक्सर
न्यूज चक्र लाइव/बेगूसराय
नाम- गालिबुल इस्लाम, निवासी- पोखरिया बेगूसराय, पेशा- समाज सेवा, कद- जिले में नाम ही काफी है, वजन- जिसको जो कह दिया सो कह दिया, शौक- लोगों की मदद करना…..। जी हां ये परिचय है बेगूसराय नगर निगम से अपनी दावेदारी ठोकने वाले पोखरिया निवासी गालिबुल इस्लाम का। पूरा शहर इन्हें गालिब भाई के नाम से जानता है। कभी बेगूसराय की रौनक रहे गालिब अब बेगूसराय नगर निगम के रास्ते मेयर की कुर्सी के दावेदारी पर हैं। इनकी दावेदारी सामने आने के बाद बेगूसराय के दिग्गज नेताओं और अगले-पिछले मेयरों के पसीने छूट रहे हैं। गालिब का नाम जिले में कई समीकरणों को बदल कर रख सकता है। अबतक बेगूसराय में मेयर की कुर्जी पर बहुसंख्यकों का कब्जा रहा है, लेकिन गालिब का नाम सामने आने के बाद समीकरण बदल सकते हैं। उसकी वजह यह है कि गालिब मुस्लिम समाज से अकेले उम्मीदवार होंगे। इस वजह से मुस्लिमों का साथ इन्हें हरहाल में मिलेगा। यहीं नहीं कुछ अगड़ा और पिछड़ा वर्गी भी गालिब के साथ आ सकता है। क्योंकि इन दोनों वर्गों में गालिब की पैठ बहुत गहरी रही है। गालिब ने अपना बचपना बेगूसराय की सड़कों पर जवानी गांधी स्टेडिय में विरोधी टीम के छक्के छुड़ाने में बिताए हैं। गालिब की पपुरलरीटी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे जहां खड़े हो जाते हैं वहां उनके चाहने वालों की भीड़ जुट जाती है।
क्रिकेट के भी रहे हैं बेताज बादशाह
गालिब ने अपनी जवानी क्रिकेट के नाम करते हुए काफी शोहरत हासिल की थी। उन दिनों सिक्सर के नाम से मशहूर गालिब क्रिकेट प्रेमियों के दिल पर राज करते थे। गालिब के द्वारा लगाया गया छक्का मैदान से बाहर ही होता था। गालिब एक पल में खेल का रुख बदल देते थे। ऐसी ही कोशिश नगर निगम के मयर चुनाव में है। गालिब यहां भी खेल बलद सकते हैं। क्योंकि गांधी स्टेडियम से नगर निगम की दूरी महज कुछ कदमों की है। और गालिब क्रिकेट में हमेशा कदम बाहर निकाल कर ही खेला करते थे। मेयर के चुनाव के लिए भी गालिब क्रीच से बाहर आ चुके हैं अब जल्द ही विरोधियों के छक्के छूटने वाले हैं। राजनीति के पिच पर गालिब ने कदम रख दिया है तो ये तो तय है कि अब खेल मजेदार होने वाला है। क्योंकि गालिब का इतिहास रहा है कि वे कभी बैकफुट पर नहीं खेलते जब भी खेला है तो फ्रंटफुट पर ही खेला है और अक्सर गालिब क्रीच से काफी आगे निकल जाते हैं। अब शायत राजनीति की पिच पर भी गालिब क्रीच से आगे निकल कर ही खेलेंगे।
शख्सियत ऐसी कि पूरे शहर में कोई विरोधी नहीं है
गालिब का चमकता चेहरा और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और अदब से सलाव व प्रणाम…. ये खूबी ही गालिब को पूरे शहर में दूसरों से अलग करती है। इन्हीं खूबियों के मालिक गालिब लोगों के दिलों पर राज करते हैं। गालिब की शख्सियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे शहर में शायद ही कोई ऐसा मिले जो गालिब का विरोधी हो, लेकिन गालिब ने राजनीति के जिस पिच पर कदम रख दिया है तो संभव है कि यहां से गालिब के विरोधियों का जन्म होना शुरू हो जाए। अबतक बेगूसराय के लोगों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ने वाले गालिब अब विरोधियों की आंखों में किरकिरी साबित हो सकते हैं।
कईयों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं गालिब
अबतक मेयर की कुर्सी पर सवार होकर विकास का नारा देने वाले राजनेता या सामजसेवियों की नींद गालिब के नाम से हराम हो सकती है। क्योंकि कि यदि वोटरों के हिसाब से देखें तो गालिब को मुस्लिम समुदाय के साथ ही पिछड़ा व अगड़ा का मत प्राप्त हो सकता है। वहीं एक सर्वे के अनुसार बहुसंख्कों में मेयर की तायदा 25 से ज्यादा हो सकती है। इस प्रकार बहुसंख्यों का वोट बटेगा और उसका सीधा लाभ गालिब को मिलेगा। वहीं कई उम्मीदवारों को मुस्लिम समुदाय में घुसपैठ करने के लिए पूरी ताकत लगानी पड़ेगी। यदि नहीं लगा पाए तो उनका समीकरण बिगड़ सकता है।