दरभंगा में AIIMS की स्थापना कब? देश के 7 एम्स निर्माण पर पीएम मोदी की समीक्षा से जगी उम्मीदें

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दरभंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा में एम्स की स्थापना के मामले पर संज्ञान लिया है। पिछले दिनों एक समीक्षा बैठक के दौरान पीएम ने दरभंगा में एम्स के लिए निर्माण कार्य की जानकारी ली। जून के अंतिम सप्ताह में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जिसमें देश भर में बनाए जा रहे हैं 7 ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के भवन निर्माण की समीक्षा की गई जिसमें दरभंगा शामिल है। नीतीश सरकार और केंद्र के बीच राजनीतिक तकरार में दरभंगा में एम्स की स्थापना का मामला  फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।

प्रधानमंत्री द्वारा एम्स प्रोजेक्ट का संज्ञान लिए जाने पर दरभंगा के लोगों में एक बार फिर उम्मीद की किरण जग गई है। बिहार के इस बड़े और जनोपयोगी मेडिकल संस्थान स्थापना को पिछले दिनों तब झटका लगा था जब केंद्र सरकार ने बिहार सरकार द्वारा शोभन बाईपास पर दी गई जमीन को तकनीकी आधार पर लेने से मना कर दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने बैठक में राजकोट, जम्मू, अवंतीपुरा, बीबीगंज, मदुरई, रेवाड़ी और दरभंगा में एम्स के निर्माण कार्य की समीक्षा की।

दरअसल दरभंगा में 750 बेड वाली एम्स के निर्माण की स्वीकृति केंद्र सरकार ने 15 दिसंबर 2020 को दी थी। इसके लिए 1264 करो रुपए की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन बिहार सरकार द्वारा सूटेबल जमीन नहीं दिए जाने के कारण अभी तक दरभंगा में काम शुरू नहीं हो सका है। बिहार सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को आवश्यक जमीन हस्तांतरित नहीं किया है। जानकारी के अनुसार दरभंगा के अलावे अन्य स्थानों पर बन रहे एम्स में कार्य काफी प्रगति पर है। मदुरई, बीवीनगर, राजकोट और जम्मू एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। वहां ओपीडी सेवा भी चलाया जा रहा है। वही अवंतीपुरा मैं कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो गया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक लड़ाई का बुरा असर दरभंगा एम्स पर पड़ रहा है। एक इंजीनियरिंग कालेज के प्रोफेसर राजीव कुमार झा का कहना है कि दरभंगा एम्स का प्रोजेक्ट दोनों सरकारों के बीच लड़ाई का शिकार हो गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि दरभंगा में एम्स  निर्माण शुरू से ही उठापटक के दायरे में रहा। 2015 में जब तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एम्स के निर्माण का प्रस्ताव भेजा तो बिहार सरकार ने उस पर रुचि नहीं दिखाई क्योंकि उस समय नीतीश कुमार एनडीए में नहीं थे।  राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि केंद्र सरकार ने बिहार के दूसरे एम्स के निर्माण के लिए जल्द से जल्द सूटेबल जमीन चिन्हित कर उपलब्ध कराने को कहा था।

एलएन मिश्रा दरभंगा विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर जितेंद्र नारायण का कहना है कि पहली बार जब दरभंगा में एम्स की चर्चा हुई उस समय नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार में मुख्यमंत्री थे। हालांकि 2017 में आरजेडी पर भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों नाम पर महागठबंधन तोड़ और नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ एनडीए में शामिल हो गए।  इस बीच एम्स का काम बाधित रहा। इसके लिए जमीन फाइनल करने और केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में काफी देरी हुई।  दूसरी ओर बिहार सरकार के मंत्री संजय कुमार झा का कहना है कि राज्य सरकार हमेशा से दरभंगा में एम्स की स्थापना को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस मामले में वार्ता हुई थी। डीएमसीएच परिसर में एम्स निर्माण पर सहमति भी बनी थी।  संजय झा ने कहा कि सरकार इस बात से सहमत है बिहार का दूसरा एम्स दरभंगा में ही बने।

लेकिन दरभंगा एम्स को लेकर उस समय विवाद के हो गया जब नीतीश कुमार ने जनवरी 2023 में समाधान यात्रा के दौरान एक अलग बात कह दी। तब उन्होंने कहा था कि डीएमसीएच कैंपस के बजाए एक दूसरी जमीन एम्स के निर्माण के लिए चयनित की जा रही है जो ज्यादा सूटेबल है। उसके बाद बिहार सरकार ने दरभंगा के शोभन में बाईपास पर एम्स के निर्माण के लिए जमीन का चयन किया।  इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया। उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की इंस्पेक्शन टीम ने उस जमीन के फिजिकल वेरीफिकेशन किया। अपनी रिपोर्ट में टेक्निकल टीम ने बिहार सरकार के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया।  उसके बाद से दरभंगा में एम्स का निर्माण आधार में लटक गया है।

इधर दरभंगा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद गोपाल जी ठाकुर का मानना है कि बिहार सरकार ने जानबूझकर दरभंगा एम्स के मामले को उलझा दिया है।  इसीलिए एम्स का निर्माण स्थल डीएमसीएच परिसर से बदलकर शोभन बाईपास कर दिया गया है।  उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार यह नहीं चाहते कि एम्स बनाने का क्रेडिट प्रधानमंत्री को मिले। उन्होंने जानबूझ कर मामले को फंसा दिया है।

गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि दरभंगा एम्स के निर्माण में जमीन देने को लेकर बिहार सरकार ने बार-बार अपना फैसला बदला। पहले डीएमसीएच परिसर में ही 200 एकड़ जमीन देने की बात कही गई। इसे बिहार सरकार के कैबिनेट से स्वीकृति दे दी। बाद में कहा गया के डेढ़ सौ एकड़ जमीन ही दी जाएगी।  इसी क्रम में 81 एकड़ जमीन पिछले साल 9 जून को केंद्र सरकार को हैंड ओवर भी कर दिया गया।  13 करोड़ की लागत से इस पर मिट्टी भराई और लेवलिंग का काम शुरू करा दिया गया। इतना ही नहीं केंद्र सरकार की ओर से एक्जक्यूटिव डायरेक्टर की बहाली दरभंगा एम्स के लिए कर दी गई। लेकिन, बाद में नीतीश कुमार ने अपना इरादा बदल दिया।

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